डोडा में बादल फटने से आई भारी तबाही, तीन की मौत, कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन

Jammu-Kashmir/Doda district news: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने व्यापक तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा के कारण तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। भालेसा के चारू नाला में बादल फटने की खबर है, जहां तीन साल पहले भी ऐसी ही आपदा आई थी। भारी बारिश के कारण नदियों और नालों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है, जिससे प्रशासन हाई अलर्ट पर है।

डोडा के उपायुक्त हरविंदर सिंह ने बताया कि लगातार बारिश के कारण नदियों और नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया, जिसके चलते कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। उन्होंने नदियों और नालों के किनारे रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। गंदोह क्षेत्र में तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि भद्रवाह में नीरू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है।

भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग सहित कई संपर्क सड़कें बंद हो गई हैं। डोडा-किश्तवाड़ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-244) पर जंगलवार नाला के पास सड़क का एक हिस्सा बह गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। प्रशासन ने लोगों से इस मार्ग पर यात्रा न करने की सलाह दी है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्थिति को “गंभीर” बताते हुए कहा कि वह स्वयं हालात का जायजा लेने के लिए जम्मू पहुंच रहे हैं। उन्होंने उपायुक्तों को आपातकालीन बहाली और आवश्यक सामग्री के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय मंत्री और उधमपुर सांसद जितेंद्र सिंह ने भी डोडा के उपायुक्त से बात कर स्थिति की जानकारी ली।

प्रशासन ने सभी अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रखा है और बचाव कार्यों के लिए पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं। मौसम विभाग ने जम्मू संभाग के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 27 अगस्त तक और बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनी जारी की है।

स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल है। कई घर, वाहन और संपत्तियां बाढ़ में बह गई हैं। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन खराब मौसम और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने से बचाव कार्यों में बाधा आ रही है। लोगों से अपील की गई है कि वे घरों में रहें और बिना जरूरत बाहर न निकलें।

यह आपदा एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और अनियोजित विकास के खतरों को उजागर कर करके रख दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है, जिसके लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है।

यह भी पढ़े: कर्नाटक विधानसभा में डीके शिवकुमार ने गाया था, RSS का गीत, अब मांग रहे माफी

यहां से शेयर करें