Noida Authority residential scheme: आपकी जेब में लाखों करोड़ों रुपए नहीं है तो नोएडा में आशियाना बनाने का सपना छोड़ दीजिए। यहां प्राधिकरण गैर लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित किया गया, लेकिन प्राधिकरण ही लाभ कमाने वाली मशीन बन गयी है। प्राधिकरण की ओर से लेफ्ट आउट फ्लैट्स की स्कीम निकाली गई है। जिसमें लो इनकम ग्रुप यानी एलआईजी फ्लैट का रेट 51 लाख से 75 लाख रूपये तक के बीच है। यह रेट सबसे कम और सबसे अधिक है। लोकेशन के हिसाब से प्राधिकरण इन्हें बेच रहा है। जय हिंद जनाब ने आम लोगों के बीच जाकर प्राधिकरण की इस योजना पर प्रतिक्रिया मांगी तो एक सुर में कहा गया कि केवल नोएडा पैसे वाले लोगों के लिए ही रह गया है। ये कहना भी गलत नही होगा कि पैसे वाले लोगों के जमीन खरीदते वक्त पसीने छूट जाते है। डयूप्लेक्स माकान भी पौने दो करोड़ से शुरू हो रहे है। एक वक्त था जब नोएडा प्राधिकरण की ओर से लोगों को उनकी जेब नहीं बल्कि किस्मत के हिसाब से फ्लैट दिए जाते थे, प्लॉट दिए जाते थे। लेकिन अब पूरा सिस्टम ही खत्म हो चुका है। औद्योगिक भूखंड लेने के लिए आपको ऑनलाइन बीडिंग करनी पड़ेगी। जितनी बड़ी बोली आप लगाएंगे उसी हिसाब से आपको वरीयता मिलेगी अधिक से अधिक बोली लगाने वाला ही फ्लैट या भूखंड का मालिक बन जाएगा। हालांकि फ्लैट में आसमान छूते रेट रखे गए है और इसका इ-आक्शन नही बल्कि डा निकाला जाएगा।
कहीं कही मार्केट रेट को दी मात
अपने हमेश री-सेल प्रोपर्टी की चर्चाएं सुनी होगी। कहा जाता है कि री-सेल में प्रोपर्टी मंहगी मिलती है लेकिन इस बार प्राधिकरण की स्कीम ने री-सेल को भी पछाड़ दिया है। लोग कहने लगे है कि मार्केट रेट कम है लेकिन प्राधिकरण ने उससे कई गुना अधिक पर रेट तय किया है।
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ऐसे आया परिवर्तन
17 अप्रेल 1976 में जब नोएडा प्राधिकरण की स्थापना हुई तो नोएडा को एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित किया गया। दिल्ली के नजदीक होने के कारण यहां विकास की आपार संभावनाएं थी। धीरे-धीरे नोएडा में लोगों की आवाजाही बढ़ती चली गइर्, जो शुरुआत में सेक्टर बने जैसे कि 15ंए सेक्टर 14,15,25,26,27, 28, 29, 30, 31, 55,56 भी खाली दिखाई देते रहे। वक्त का पहिया घूमता रहा और नोएडा में परिवर्तन आता चला गया धीरे-धीरे यहां जमीन के रेट बढ़ने लगे। एक वक्त था जब प्राधिकरण के अफसर अपनी स्कीम हिट करने के लिए लोगों को खुद बुलाकर सम्मान के साथ भूखंड देते थे। इस समय के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने लखनऊ और नोएडा पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर दिया। जैसे ही विकास के आयाम स्थापित होने लगे तो नोएडा प्राधिकरण भी अपनी भूमिका में बदलाव करने लगा। देखते ही देखते नोएडा प्राधिकरण गैर लाभकारी संस्था से लाभकारी संस्था में परिवर्तित हो गया।
Noida Authority residential scheme: जमीन खरीदना पहुंच से दूर इसीलिए होता है डूब क्षेत्र में अतिक्रमण
गरीब लोगों की पहुंच से दूर हो चुके नोएडा के जमीनों के रेट अतिक्रमण और कब्जा करने पर लोगों को मजबूर कर रहे हैं। यही कारण है कि डूब क्षेत्र में जब कॉलोनाइजर 50 से 100 गज के प्लॉट बेचते हैं, तो वहां घनी आबादी कुछ ही महीनों में हो जाती है। जब अतिक्रमण होता है तो प्राधिकरण मौन रहता है लेकिन खचाखच भरने के बाद पता चलता है प्राधिकरण की नींद टूटी है और अब बुलडोजर चलेगा। मेहनत और पसीने की कमाई से बनाए गए छोटे से आशियाना को बचाने के लिए लोग जान पैक दांव पर लगा देते है।ं