टैंकर ट्रैकर्स.कॉम और वोर्टेक्सा जैसे एनालिटिक्स फर्मों के डेटा के अनुसार, अक्टूबर में ईरान ने कुल 68-70 मिलियन बैरल तेल की आपूर्ति की, जिसकी अनुमानित कीमत 4.4-4.6 अरब डॉलर रही। यह वृद्धि तब हुई जब सितंबर के अंत में यूएन ने ‘स्नैपबैक’ तंत्र के जरिए पुराने प्रतिबंधों को बहाल कर दिया था।
इन प्रतिबंधों में ईरानी शिपिंग, बीमा और वित्तीय लेन-देन पर सख्ती शामिल है, लेकिन तेल निर्यात पर सीधा असर नहीं पड़ा। ईरान के पेट्रोलियम मंत्री मोहसेन पकनेजाद ने अगस्त में ही कहा था कि तेहरान ने अमेरिकी ‘मैक्सिमम प्रेशर’ अभियान को पहले ही नाकाम कर दिया है और नए प्रतिबंधों को भी बायपास करने के तरीके सीख लिए हैं।
ईरान का 90% से अधिक तेल चीन जा रहा है, खासकर शांडॉन्ग प्रांत की ‘टीपॉट’ रिफाइनरियों को, जो स्वतंत्र रूप से सस्ता तेल खरीदती हैं। ईरानी तेल को ब्रेंट क्रूड से 5-10% छूट पर बेचा जा रहा है, जिससे चीनी खरीदार आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन यह व्यापार गुप्त नेटवर्क पर टिका है: जहाजों के बीच समुद्री हस्तांतरण (शिप-टू-शिप ट्रांसफर), ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) को बंद करना, नकली दस्तावेज और मलेशिया या यूएई जैसे देशों के रास्ते तेल को ‘रीलेबल’ करना। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि ईरान की ‘डार्क फ्लीट’ में 50 से अधिक जहाज शामिल हैं, जिनमें से 39 अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में हैं, लेकिन 14 अभी भी बेअसर घूम रहे हैं।
अमेरिकी ट्रेजरी ने अक्टूबर में ही 100 से अधिक व्यक्तियों, कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगाए, जिसमें चीनी रिफाइनरी रिजाओ शिहुआ और शांडॉन्ग जिंचेंग पेट्रोकेमिकल शामिल हैं। ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, “ये कदम ईरान की ऊर्जा मशीन को तोड़ने के लिए हैं।” फिर भी, फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज (FDD) के अनुसार, ईरान के निर्यात 2025 में औसतन 1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहे, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल के ‘मैक्सिमम प्रेशर’ से भी ज्यादा है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चर्चा में यूजर्स जैसे @TheCalvinCooli1 ने लिखा, “ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों को सफलतापूर्वक बायपास कर लिया है।” वहीं, @stats_feed ने पोस्ट किया कि अक्टूबर में 6.86 अरब बैरल तेल की बिक्री से 4.4 अरब डॉलर की कमाई हुई।
यह स्थिति न केवल अमेरिकी नीति की विफलता को उजागर कर रही है, बल्कि वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चितता बढ़ा रही है। स्टिमसन सेंटर की रिपोर्ट कहती है कि ईरान ने बायपास तकनीकों में महारत हासिल कर ली है, जैसे डॉलर-आधारित सिस्टम से बचना और बार्टर ट्रेड। लेकिन आलोचक चेतावनी दे रहे हैं कि इससे तेल कीमतें प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि ईरान का उत्पादन 3.23 मिलियन बैरल प्रतिदिन पहुंच चुका है। यूएस कांग्रेस में HR 1422 बिल पर चर्चा हो रही है, जो चीन के आयात और शैडो नेटवर्क को निशाना बनाएगा।
ईरान के लिए यह व्यापार आर्थिक आजादी का प्रतीक है, लेकिन क्षेत्रीय तनाव बढ़ा रहा है। मध्य पूर्व में इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच, तेहरान की यह बेखौफी वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है। क्या नए प्रतिबंध कामयाब होंगे, या ईरान की चालाकी बरकरार रहेगी? समय ही बताएगा।

