महंगाई की मारः टमाटर ही नही मसालों के रेट आसमान पर
महंगाई की मार लगातार बढती जा रही है। इससे बचने के सरकार के क्या उपाय है वो दिखाई नही देते। यदि सरकार कोई उपाय करती है तो उसका कोई असर नही हो रहा है। टमाटर और हरी सब्जियों के बाद मसाले भी महंगे हो गए हैं। दाल, सब्जी समेत खाने की 80 फीसदी चीजो में इस्तेमाल होने वाला जीरा एक महीने में ढ़ाई गुना तक महंगा हो गया है। खुदरा बाजार में 350 रुपए किलो तक बिकने वाला जीरा इस वक्त 700 रुपए किलो तक पहुंच गया है। रेट लगातार बढ़ता जा रहा है। दुकानदारों का कहना है कि अगर ऐसी ही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में रेट 1000 रुपए किलो तक पहुंच जाएगा। जीरा मौजूदा समय अभी तक के सबसे महंगे रेट पर बिक रहा है।
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कारोबारी अनिल कुमार बताते हैं कि पिछले एक महीने में ज्यादातर सामान के रेट बढ़े हैं। कारोबारियों का कहना है कि माल ऊपर से ही महंगा मिल रहा है। ऐसे में उनके पास भी रेट बढ़ाने के अलावा कोई उपाय नहीं है। सौंप में कलर मिलाकर जीरा के साथ बेचा जा रहा था लेकिन अब वो भी मुश्किल हो रहा है।
कारोबारी कहते हैं कि कालाबाजारी की वजह से सौंप भी महंगा हो गया है। उन्होंने बताया कि एक सौंप आता है जो बिल्कुल जीरा की तरह होता है। इसमें थोड़ा कलर लगाने के बाद जीरा के साथ मिलावट कर दी जाती है। फिर जीरा के महंगे रेट में बेचा जाता है। अगर रेट पर कंट्रोल और कालाबाजारी करने वालों को नहीं पकड़ा गया तो दिक्कत बढ़ेगी। बताया कि जो सौंप महीनेभर पहले 350 रुपए किलो थी, वह मौजूदा समय में 450 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।
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गुजरात से आता है जीरा
जीरा ज्यादातर गुजरात से आता है। वहां अब इसकी फसल करीब 7 से 8 महीने बाद कटेगी। ऐसे में अगर अभी से रेट को लेकर सरकार ने सख्ती नहीं दिखाई तो आने वाले दिनों में जीरा और महंगा होगा। मूल्य 1000 रुपए प्रति किलो तक पहुंच सकता है। इसमें आढ़ियों के साथ स्थानीय स्तर पर शासन-प्रशासन भी मिला होता है। उनकी मिली-भगत के बिना कालाबाजारी संभव नहीं है। इसके साथ साथ कई अन्य आइटम भी मंहेगे हो रहे है।