इंडिगो, जो भारत की घरेलू उड़ानों में करीब 66% बाजार हिस्सेदारी रखती है, नई फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमों के अमल से बुरी तरह प्रभावित हुई है। दिसंबर 3 से शुरू हुई यह विघ्नावली 5 दिसंबर को चरम पर पहुंची, जब इंडिगो ने एक ही दिन में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं। इससे देशभर के प्रमुख हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए, जिससे सार्वजनिक आक्रोश बढ़ गया है। डीजीसीए ने इंडिगो को क्रू की कमी के आधार पर शेड्यूल में कटौती करने को कहा है, और यदि समस्या बनी रही तो और सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “इंडिगो आज शाम तक अपनी कुल उड़ानों में 5% कटौती वाला संक्षिप्त शेड्यूल जमा करेगी।”
इस संकट ने स्पाइसजेट के लिए अप्रत्याशित अवसर पैदा कर दिया है। स्पाइसजेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था, “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हुई। हम 100 अतिरिक्त उड़ानें संचालित करके मदद करने का प्रयास कर रहे हैं। हम सरकार के जांच समिति गठन के फैसले का स्वागत करते हैं।” सोशल मीडिया पर भी यात्री अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, जहां एक यूजर ने लिखा, “यह बेहद निराशाजनक है, जो यात्रियों को समय, ऊर्जा और मानसिक शांति बर्बाद कर रहा है।”
दूसरी ओर, इंडिगो की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयरों में गिरावट का सिलसिला आठवें सत्र में भी जारी रहा। दिसंबर में अब तक शेयर 18% लुढ़क चुके हैं, जिससे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 37,000 करोड़ रुपये से अधिक घट गया है। एविएशन विशेषज्ञ सुभाष गोयल ने कहा, “डीजीसीए ने क्रू को पर्याप्त आराम सुनिश्चित करने के लिए नियम पेश किया था। एयरलाइंस को एक साल का समय दिया गया था। अकासा, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस और स्पाइसजेट ने अनुपालन किया, लेकिन इंडिगो ने कोई कार्रवाई नहीं की।”
स्पाइसजेट के शेयरों में मंगलवार को 14% की छलांग के साथ यह रैली दूसरे सत्र में भी जारी रही। हालांकि, साल भर में स्पाइसजेट के शेयर 40% नीचे हैं और 52-सप्ताह के निचले स्तर 28.13 रुपये के करीब घूम रहे हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि इंडिगो का संकट अन्य एयरलाइनों को मजबूत बनाने का मौका दे रहा है। अक्टूबर 2025 तक डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार, इंडिगो का घरेलू बाजार हिस्सा 65.6% था, जबकि एयर इंडिया का 25.7%, अकासा एयर का 5.2% और स्पाइसजेट का मात्र 2.6%।
सरकार अब इंडिगो के वरिष्ठ अधिकारियों पर जुर्माना लगाने और नेटवर्क रीबूट जैसे ‘ड्रास्टिक’ कदमों की जांच कर रही है। यह संकट भारत के विमानन क्षेत्र में एक प्रमुख वाहक पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को उजागर करता है। यात्री संगठनों ने डीजीसीए से तत्काल राहत की मांग की है, जबकि एयरलाइंस को नई नियमों के लिए बेहतर तैयारी की सलाह दी जा रही है।

