संकट की जड़:
इंडिगो की परेशानी की शुरुआत नवंबर 2025 से हुई, जब डीजीसीए ने पायलटों के आराम और ड्यूटी समय पर सख्त नियम लागू किए। कंपनी ने विंटर शेड्यूल में 6% की वृद्धि की योजना बनाई थी, लेकिन पायलटों की कमी और क्रू रिसोर्सिंग में चूक के कारण यह संभव नहीं हो सका। विकिपीडिया के अनुसार, 5 दिसंबर को अकेले 1,600 उड़ानें रद्द हुईं, जो भारतीय विमानन इतिहास की सबसे बड़ी संख्या है। कुल मिलाकर, 2 दिसंबर से 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। कंपनी ने इसे “मल्टीपल फैक्टर्स का कंपाउंडिंग इफेक्ट” बताया है, जिसमें तकनीकी गड़बड़ी और क्रू अवकाश भी शामिल हैं।
सीईओ पीटर एल्बर्स ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी और कहा कि 10-15 दिसंबर तक परिचालन सामान्य हो जाएगा। कंपनी ने 5-15 दिसंबर तक कैंसिलेशन पर पूर्ण रिफंड और रीशेड्यूलिंग फीस माफ करने का ऐलान किया है। हालांकि, डीजीसीए ने 7 दिसंबर तक सभी रिफंड पूरे करने का आदेश दिया था, और 9,55,591 पीएनआर पर 827 करोड़ रुपये का रिफंड प्रोसेस हो चुका है।
डीजीसीए का सख्त एक्शन: तलबी, निरीक्षण और निगरानी
डीजीसीए ने इंडिगो पर सख्ती दिखाई है।मीडिया के अनुसार, 11 दिसंबर को दोपहर 3 बजे एल्बर्स और वरिष्ठ अधिकारियों को “व्यापक डेटा” के साथ हाजिर होने का आदेश दिया गया है। इसमें उड़ान बहाली, पायलट-क्रू भर्ती योजना, रद्द उड़ानों की संख्या और रिफंड स्टेटस शामिल है। साथ ही, 11 हवाई अड्डों (जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु) पर 2-3 दिनों में ऑन-साइट इंस्पेक्शन होगा, जिसमें सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन, स्टाफिंग, हेल्प डेस्क, सामान हैंडलिंग और यात्री फीडबैक की जांच होगी। रिपोर्ट 24 घंटों में जमा करनी होगी।
इसके अलावा, डीजीसीए ने 8 सदस्यीय ओवरसाइट टीम गठित की है, जो गुरुग्राम स्थित इंडिगो मुख्यालय में तैनात रहेगी। यह टीम दैनिक रिपोर्ट जमा करेगी, जिसमें क्रू उपलब्धता, रद्दीकरण, रिफंड, मुआवजा और ऑन-टाइम परफॉर्मेंस पर नजर रखी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विंटर शेड्यूल में 10% कटौती (लगभग 220 दैनिक उड़ानें) का आदेश दिया गया है, ताकि अन्य एयरलाइंस को स्लॉट मिल सकें। शो-कॉज नोटिस जारी हो चुका है, और कंपनी की प्रतिक्रिया पर कार्रवाई तय है।
सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने भी हाई-लेवल रिव्यू मीटिंग बुलाई, और मंत्री राम मोहन नायडू ने लोकसभा में कहा कि “किसी भी एयरलाइन को प्लानिंग लैप्स या नियम उल्लंघन से यात्रियों को परेशान करने की इजाजत नहीं।” रेलवे ने 89 स्पेशल ट्रेनें चलाईं ताकि फंसे यात्रियों को राहत मिले।
हाईकोर्ट की नाराजगी
इंडिगो संकट के कारण अन्य एयरलाइंस के किराए आसमान छूने लगे। दिल्ली-मुंबई रूट पर टिकट 35-39 हजार रुपये तक पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से सवाल किया, “कैसे टिकट इतने महंगे हो गए? संकट में यात्रियों की मदद के लिए क्या कदम उठाए?” कोर्ट ने अन्य एयरलाइंस पर भी निशाना साधा कि वे संकट का फायदा कैसे उठा रही हैं। 6 दिसंबर को सरकार ने किराए पर कैप लगाया, लेकिन कोर्ट ने तत्काल सुनवाई की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया।
बाजार पर असर
इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो की पैरेंट कंपनी) के शेयर 8 दिनों में 17% लुढ़क गए—27 नवंबर को 5,917 रुपये से 9 दिसंबर को 4,913 रुपये पर। म्यूचुअल फंड्स में सबसे ज्यादा एक्सपोजर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल (1.19 करोड़ शेयर, 6,718 करोड़ रुपये) का है, उसके बाद एसबीआई, एचडीएफसी और कोटक।
दूसरी ओर, स्पाइसजेट ने संकट को मौका बनाया। कंपनी 100 अतिरिक्त दैनिक उड़ानें जोड़ेगी, नेटवर्क लचीलापन बढ़ाने के लिए। पिछले दो महीनों में 17 विमान रीएक्टिवेट किए गए हैं। इसके शेयर 5% उछलकर 36 रुपये पर पहुंचे, चार दिनों में 19% की तेजी आई। एयर इंडिया भी विस्तार की योजना बना रही है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #IndiGoCrisis ट्रेंड कर रहा है। यूजर्स यात्रियों की परेशानी साझा कर रहे हैं—लंबी कतारें, सामान की अराजकता, वृद्ध यात्रियों की दुर्गति। एक पोस्ट में कहा गया, “इंडिगो ने शादी-ब्याह के सीजन में हजारों को फंसा दिया।” डीजीसीए की टीम तैनाती की खबरें वायरल हैं।
यह संकट भारतीय विमानन उद्योग के लिए सबक है। डीजीसीए की निगरानी से उम्मीद है कि जल्द सामान्य पर लौटेगी, लेकिन यात्रियों का गुस्सा शांत होने में वक्त लगेगा। सरकार ने साफ कहा—सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं।

