IndiGo Crisis: संसद में बहस, विपक्ष ने सरकार को घेरा, यात्रियों के हक की उठी मांग

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के पर लगातार संकट छाया हुआ है। 6 दिनों तक चले संकट ने न केवल लाखों यात्रियों को परेशान किया, बल्कि संसद भवन में भी एक तीखी बहस को जन्म दे दिया। विपक्षी दलों ने आज सरकार पर विमानन क्षेत्र में एकाधिकार को बढ़ावा देने और नियामक तंत्र की कमजोरी का आरोप लगाते हुए यात्रियों के अधिकारों की रक्षा में नाकामी का ठीकरा फोड़ा है। संसदीय परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति स्थायी समिति ने इंडिगो के शीर्ष अधिकारियों, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों को तलब करने का फैसला किया है। वही सरकार ने संकट को कम करने के लिए 610 करोड़ रुपये के रिफंड जारी करने और किराया कैप लगाने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन विपक्ष इसे श्दबाव में झुकनाश् बता रहा है।

इंडिगो का संकट (IndiGo crisis) 2 दिसंबर से शुरू हुआ, जब नए चालक दल आराम नियमों (एफडीटीएल) के कारण पायलटों की कमी से 4,500 से अधिक उड़ानें रद्द हो गईं। देशभर के हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए, जिनमें बच्चे, बुजुर्ग और व्यापारी शामिल थे। मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और चेन्नई जैसे प्रमुख हब्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, जहां यात्रियों को रातें फर्श पर गुजारनी पड़ीं। इंडिगो ने इसे श्गंभीर परिचालन संकटश् बताया और रूट-कॉज विश्लेषण शुरू किया, लेकिन यात्रियों का गुस्सा ग्राउंड स्टाफ पर उतर आया, जो बिना पर्याप्त जानकारी के फजीहत झेल रहे थे।
शीतकालीन सत्र में गरमाया मुद्दा
संसद के शीतकालीन सत्र में यह मुद्दा गरमाया हुआ है, जब विपक्ष ने इसे राष्ट्रीय संकट करार दिया। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, साधारण भारतीयों को एकाधिकार मॉडल की कीमत चुकानी पड़ रही है। उड़ान रद्द होना, देरी और बढ़ते किरायेकृयह सब सरकार की विमानन क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा न बढ़ावा देने की नाकामी का नतीजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने ड्यूओपॉली (दो कंपनियों का वर्चस्व) को बढ़ावा दिया, जिससे इंडिगो जैसी कंपनी नियमों की अनदेखी कर सकी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी संसद में बाधाओं पर नाराजगी जताई, लेकिन विपक्ष की आलोचना पर कहा कि वे जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुने गए हैं।
सांसद प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं
शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक समाचार एंजेसी से कहस कि यह बेहद दुखद और हृदयविदारक है। प्रबंधन ने पूरे स्टाफ को मोर्चे पर झोंक दिया, और सारा गुस्सा उन पर उतर रहा है। डीजीसीए ने दो साल पुरानी नीति लागू करने के लिए कोई चेक-बैलेंस क्यों नहीं किया? यात्रियों की परेशानी के बीच इंडिगो ने सरकार को नीति वापस लेने के लिए दबाव डाला।ष्उन्होंने संसद में इस मुद्दे को उठाने की चेतावनी दी।
ठीक इसी प्रकार, कांग्रेस सांसद सासिकांत सेनथिल ने कहा, यह संकट इंतजार कर रहा था, और सरकार को इसकी पूरी जानकारी थी। दो साल पहले नोटिफाई करने के बावजूद तैयारी न होना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने ड्यूओपॉली को अनुमति दी, नियम तोड़े जाने दिए और संकट में गायब हो गए।
विपक्ष के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
संसदीय समिति, जो जेडीयू नेता संजय झा की अध्यक्षता में है, ने हवाई सेवाओं में व्यवधान के कारणों, समाधानों और किरायों में उछाल पर चर्चा करने का फैसला किया है। समिति के एक सदस्य ने कहा, हजारों यात्रियों की परेशानी को गंभीरता से लिया गया है। यहां तक कि सांसदों की उड़ानें भी रद्द हुईं। सीपीआई(एम) के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने संयुक्त संसदीय समिति या न्यायिक जांच की मांग की। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भी बहस छिड़ी, जहां पूर्व विमानन पेशेवर शक्ति लुम्बा ने हवाई यात्री संरक्षण कानून की मांग की, ताकि यात्रियों को मुआवजा मिले।

सरकार की ओर से नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कदम उठाएरू प्रभावित रूट्स पर किराया कैप लगाया, 48 घंटे में सामान लौटाने का आदेश दिया (3,000 से अधिक टुकड़े लौटाए गए) और रिफंड के लिए विशेष सेल तैनात किए। 7 दिसंबर शाम 8 बजे तक सभी लंबित रिफंड पूरे करने का निर्देश दिया गया, जिसके तहत 610 करोड़ रुपये जारी हो चुके हैं। मंत्रालय ने कहा कि अन्य एयरलाइंस सामान्य रूप से चलीं, और संकट 10 दिसंबर तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। लेकिन विपक्ष इसे श्इंडिगो के दबाव में नियम ढीले करनाश् बता रहा है, जहां पायलट यूनियन ने सुरक्षा चिंताओं पर सवाल उठाए।

यात्रियों की आवाज में यह बहस और तेज हो रही है। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, इंडिगो ने जानबूझकर ग्राहकों को परेशान किया ताकि डीजीसीए पर दबाव डाल सके। सरकार को मजबूत नियामक चाहिए, न कि निजी एयरलाइन के आगे बेबस। पूर्व विमानन नियामक एम.आर. शिवरामन ने सीएनबीसी-टीवी18 पर कहा कि अन्य एयरलाइंस नियमों के लिए तैयार थीं, लेकिन इंडिगो ने आर्म-ट्विस्टिंग की कोशिश की।

यह संकट न केवल विमानन क्षेत्र की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यात्रियों के अधिकारों पर भी सवाल खड़े करता है। संसदीय समिति की जांच से उम्मीद है कि ठोस समाधान निकलेंगे, लेकिन तब तक लाखों प्रभावित परिवारों की परेशानी बरकरार है। विपक्ष की मांग है कि जल्द से जल्द यात्री संरक्षण विधेयक लाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं का दोहराव न हो।

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