भारत की सफलताः शक्तिशाली जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण

यूक्रेन पर रूसी बमबारी के कारण इस वर्ष महाशक्ति प्रतिद्वंद्विता देखे जाने के बीच भारत ने शक्तिशाली जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण की और चीन के बढ़ते आक्रामकता के सामने क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को फिर से आकार देने में अपने रणनीतिक प्रभाव का विस्तार करने में एक मजबूत संकल्प दिखाया। पूर्वी लद्दाख बार्डर गतिरोध 30 महीनों से अधिक समय तक बना रहा लेकिन भारत ने भी चीन के साथ अपने कूटनीतिक संपर्क में एक स्पष्ट और दृढ़ नीति बनाए रखी, जिससे बीजिंग को स्पष्ट संदेश गया कि संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमा पर शांति और सुरक्षा का माहौल सर्वोपरि है। भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख वैश्विक पावर के साथ संबंधों का विस्तार करने के लिए अपने भू-राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने और खुद को शांति के लिए एक विश्वसनीय ताकत के रूप में स्थापित करने के व्यापक लक्ष्य के साथ अपने कूटनीतिक अभियान को जारी रखा। यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक खानपान एवं ऊर्जा संकट और रूस और अमेरिका के बीच एक गहन भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा हुई लेकिन इस बीच भारत ने एक खास नजरिया पेश करते हुए शत्रुता को समाप्त करने और बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान खोजने के लिए रूस और यूक्रेन पर दबाव डाला। उज्बेकिस्तान के समरकंद में 16 सितंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक बैठक में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी नेता को यह कहते हुए संघर्ष समाप्त करने के लिए कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है।

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