भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में गहराता जा रहा संकट: 5 लाख से अधिक होमबायर्स फंसे, सुप्रीम कोर्ट ने RERA पर की सख्त टिप्पणी

India Real Estate Sector/RERA News: भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में संकट गहराता जा रहा है, जहां 5 लाख से अधिक होमबायर्स विभिन्न विलंबित या अधर में लटकी हुई आवासीय परियोजनाओं में फंसे हुए हैं। 2017 से लागू रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट (RERA) के बावजूद, इन परियोजनाओं की डिलीवरी में देरी जारी है, जिससे लाखों खरीदारों का विश्वास टूट रहा है। प्रॉपइक्विटी के हालिया विश्लेषण के अनुसार, देश भर में 42 शहरों में लगभग 2,000 आवासीय परियोजनाएं रुकी हुई हैं, जिनमें 5.08 लाख यूनिट शामिल हैं, और इनकी कुल कीमत ₹10.8 लाख करोड़ से अधिक है।

एक आईटी प्रोफेशनल राहुल बख्शी की कहानी इस समस्या का जीता-जागता उदाहरण है। गुरुग्राम के सुपरटेक हिलटाउन प्रोजेक्ट में ₹52 लाख का पीएनबी लोन लेकर फ्लैट बुक करने वाले बख्शी को अब तक पजेशन नहीं मिला है। ऐसी हजारों कहानियां हैं, जहां खरीदार ईएमआई भरते रहते हैं, लेकिन घर का सपना अधूरा रह जाता है। गुरुग्राम में ही महिरा होम्स, ग्रीनोपोलिस और ओशन सेवन जैसी परियोजनाएं वर्षों से लंबित हैं। खरीदारों का आरोप है कि बिल्डर-बायर एग्रीमेंट एकतरफा हैं, एस्क्रो अकाउंट्स का दुरुपयोग होता है, और RERA के तहत भी कोई राहत नहीं मिलती।

सुप्रीम कोर्ट ने RERA की कार्यप्रणाली पर कड़ी आलोचना की है, इसे “रिटायर्ड अधिकारियों का रिहैबिलिटेशन सेंटर” करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व नौकरशाहों की नियुक्ति से एक्ट का उद्देश्य ही विफल हो रहा है। हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने आवास को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार बताया और रियल एस्टेट इकोसिस्टम में बड़े सुधारों के आदेश दिए। कोर्ट ने एनसीएलटी और RERA में रिक्तियों को भरने, 20% भुगतान के बाद संपत्ति रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करने, और तीन महीने के भीतर एक केंद्रीय सुधार समिति गठित करने के निर्देश दिए।

कोर्ट ने इंसॉल्वेंसी प्रक्रियाओं को प्रोजेक्ट-विशिष्ट बनाने, सरकारी पुनरुद्धार फंड स्थापित करने, और RERA द्वारा सभी परियोजनाओं पर उचित जांच करने के आदेश दिए। इसके अलावा, डेवलपर्स को देरी के लिए 18% ब्याज देने का निर्देश दिया गया है। ये सुधार स्टाल्ड प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग सुनिश्चित करने और होमबायर्स की सुरक्षा मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

लीगल एक्सपर्ट्स और बायर्स एसोसिएशंस का कहना है कि RERA भ्रष्ट बिल्डरों के खिलाफ निष्क्रिय हो गया है। हालांकि, बिल्डर्स का दावा है कि RERA ने डिलीवरी टाइमलाइन्स में सुधार किया है। 2025 तक, RERA के तहत 1.5 लाख प्रोजेक्ट्स और 1 लाख एजेंट्स रजिस्टर्ड हैं, और 1.5 लाख शिकायतों का निपटारा हुआ है। सरकार ने सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स का एकीकृत डेटाबेस लॉन्च किया है, जो खरीदारों को पारदर्शिता प्रदान करेगा।

सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गूंज रहा है। एक एक्स यूजर ने लिखा कि रियल एस्टेट में ब्लैक मनी और बैंक लोन्स के कारण कीमतें ऊंची बनी हुई हैं, जबकि डिलीवरी में देरी आम है। बेंगलुरु के ओजोन प्रोजेक्ट जैसे मामलों में, बिल्डर्स RERA के आदेशों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत के हाउसिंग मार्केट को नया रूप दे सकता है, RERA की निगरानी को सख्त बनाकर और विश्वास बहाल करके। होमबायर्स के लिए यह लंबे समय से प्रतीक्षित राहत है, लेकिन सुधारों का प्रभावी क्रियान्वयन ही असली परीक्षा होगी

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