संविधान दिवस का नाम कैसे पड़ा?
• 2015 से पहले 26 नवंबर को राष्ट्रीय विधि दिवस (National Law Day) के रूप में मनाया जाता था।
• वर्ष 2015 में भारत सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से ‘संविधान दिवस’ घोषित किया। यह निर्णय डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंती के साल में लिया गया था।
• डॉ. अम्बेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पी और संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष होने के नाते यह दिन उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।
संविधान निर्माण की समयरेखा (महत्वपूर्ण तिथियाँ)
• 1934: मनाबेंद्र नाथ रॉय ने पहली बार संविधान सभा बनाने का विचार रखा।
• 1946: कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा का गठन।
• 9 दिसंबर 1946: संविधान सभा का पहला अधिवेशन (207 सदस्य, जिनमें 9 महिलाएँ शामिल थीं)।
• 13 दिसंबर 1946: जवाहरलाल नेहरू ने ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया, जिसे बाद में प्रस्तावना बनाया गया।
• 29 अगस्त 1947: डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय प्रारूप समिति गठित।
• 4 नवंबर 1948: पहला मसौदा संविधान सभा के समक्ष पेश।
• 26 नवंबर 1949: संविधान अंगीकार (अडॉप्ट) किया गया।
• 24 जनवरी 1950: संविधान पर सदस्यों के हस्ताक्षर।
• 26 जनवरी 1950: संविधान लागू, भारत गणराज्य बना।
संविधान बनाने में कुल 2 साल, 11 महीने, 18 दिन लगे। इस दौरान 7,600 से अधिक संशोधन प्रस्ताव आए, जिनमें से लगभग 2,400 स्वीकार किए गए।
संविधान के प्रमुख संशोधन
1. 42वाँ संशोधन (1976) – “मिनी संविधान” कहा जाता है; प्रस्तावना में “समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष” और “अखंडता” शब्द जोड़े गए, मूल कर्तव्य जोड़े गए।
2. 44वाँ संशोधन (1978) – 42वें संशोधन के कई आपत्तिजनक प्रावधान वापस लिए गए, संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर सामान्य कानूनी अधिकार बनाया गया।
3. 61वाँ संशोधन (1989) – मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
4. 86वाँ संशोधन (2002) – 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21A) बनाया।
5. 101वाँ संशोधन (2016) – जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू।
संविधान को आकार देने वाले 10 ऐतिहासिक सर्वोच्च न्यायालय फैसले
1. गोलकनाथ केस (1967) – संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती।
2. केशवानंद भारती केस (1973) – “बेसिक स्ट्रक्चर सिद्धांत” प्रतिपादित; संसद संविधान की मूल संरचना नहीं बदल सकती।
3. इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण (1975) – 39वें संशोधन के कुछ हिस्से असंवैधानिक।
4. मेनका गांधी केस (1978) – अनुच्छेद 14, 19 और 21 आपस में जुड़े हैं; “न्यायसंगत, निष्पक्ष और उचित प्रक्रिया” जरूरी।
5. मिनर्वा मिल्स केस (1980) – मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्वों में संतुलन।
6. ओल्गा टेलिस केस (1985) – जीविका का अधिकार, जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का हिस्सा।
7. एस.आर. बोम्मई केस (1994) – राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) पर न्यायिक समीक्षा संभव।
8. न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी केस (2017) – निजता का अधिकार मौलिक अधिकार घोषित।
9. दिल्ली सरकार बनाम केंद्र (2018) – दिल्ली के उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार की सलाह से काम करेंगे।
10. इलेक्टोरल बॉन्ड केस (2024) – इलेक्टोरल बॉन्ड योजना असंवैधानिक घोषित।
आज का महत्व
संविधान दिवस केवल कानूनी बिरादरी का पर्व नहीं, बल्कि हर भारतीय नागरिक का पर्व है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा संविधान जीवंत दस्तावेज है जो समय के साथ बदलता और समाज की जरूरतों के अनुरूप ढलता रहा है, लेकिन उसकी मूल आत्मा – न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता – अटल है।
आज पूरा देश डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को नमन करता है और संविधान की रक्षा एवं उसके मूल्यों को जीवन में उतारने का संकल्प लेता है।
जय हिंद! जय संविधान! 


