India’s air pollution crisis: दिल्ली से मुंबई तक फैलता धुएँ का अम्बार, वायु प्रदूषण अब पूरे साल की समस्या

India’s air pollution crisis: भारत की राजधानी दिल्ली एक बार फिर घने स्मॉग की चपेट में है। दिसंबर के मध्य में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है, जो 400 से ऊपर दर्ज किया गया। कुछ इलाकों में AQI 500 के करीब पहुंच चुका है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो रहा है। लेकिन यह समस्या अब केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रही—मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता जैसे शहरों में भी सर्दियों में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण 25 साल से एक जैसे हैं—बायोमास (लकड़ी, गोबर के उपले) और कोयले का जलना, पराली जलाना, वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, साथ ही निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल। सर्दियों में ठंडी हवा और कम हवाएँ प्रदूषकों को फंसाकर रखती हैं, जिससे स्मॉग बनता है।

इस साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 90% की कमी दर्ज की गई है, जैसा कि केंद्र सरकार ने संसद में बताया। लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि किसान अब दोपहर बाद या शाम को पराली जलाते हैं, जिसे सैटेलाइट से आसानी से ट्रैक नहीं किया जा सकता। नतीजतन, वास्तविक जलाए गए क्षेत्र में कमी केवल 30-40% के आसपास है।

दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया, जिसमें हवाई जहाज से बादलों में रसायन छिड़ककर कृत्रिम बारिश कराई जाती है, ताकि प्रदूषक धुल जाएँ। लेकिन अपर्याप्त बादलों के कारण यह प्रयोग असफल रहा। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति दी, लेकिन प्रदूषण पर इसका असर सीमित रहा।
अब प्रदूषण दक्षिण की ओर फैल रहा है। मुंबई में धुंध छाई रहती है, बेंगलुरु और हैदराबाद में PM2.5 का स्तर बढ़ रहा है। CSE की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024-25 की सर्दियों में इन शहरों में प्रदूषण पिछले सालों से बदतर हुआ है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि तात्कालिक उपाय जैसे क्लाउड सीडिंग या पटाखों पर प्रतिबंध पर्याप्त नहीं। जरूरत है लंबे समय के समाधानों की—स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बढ़ाना, पराली के वैकल्पिक उपयोग को प्रोत्साहन, उद्योगों पर सख्त नियंत्रण और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना।
वायु प्रदूषण अब पूरे साल की समस्या बन चुका है, जो लाखों लोगों की सेहत पर खतरे के बदल मंडरा रहे है। अगर अब भी गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहराएगा।

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