Indian Rupee VS Dollar: क्यों भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले घुटना टेक रहा ?

Indian Rupee VS Dollar: भारतीय रुपया इस साल डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हुआ है और 90 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर चुका है। लेकिन ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि रुपये की गिरावट अब अपने अंतिम चरण में है। उनकी हालिया ‘ग्रीड एंड फियर’ नोट में उन्होंने कहा कि रुपये का सबसे बुरा दौर शायद बीत चुका है, हालांकि तेज रिकवरी की उम्मीद नहीं है।

वुड के अनुसार, 2025 में रुपये की 5.3% गिरावट ने उन्हें हैरान किया, खासकर जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से रिकॉर्ड 17.8 अरब डॉलर निकाले। इससे भारत एशिया (जापान को छोड़कर) और उभरते बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला बाजार बन गया। लेकिन मैक्रो इकोनॉमिक स्थिति मजबूत है: चालू खाते का घाटा (करंट अकाउंट डेफिसिट) FY26 में जीडीपी का मात्र 0.6% रहने का अनुमान है, जो दो दशकों में सबसे कम है। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 687 अरब डॉलर पर है, जो 11 महीनों के आयात को कवर करता है।

रुपये की रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) नवंबर 2024 के पीक से 11% गिरकर 11 साल के निचले स्तर पर है, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। हालांकि यह अभी भी 2013 के स्तर से 12% मजबूत है, इसलिए इसे गहरा ओवरशूट नहीं माना जा सकता।

सबसे बड़ा जोखिम अमेरिकी टैरिफ नीति है। अगस्त से भारत पर 50% तक टैरिफ लगे हैं, जिससे मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट रिकॉर्ड 282 अरब डॉलर तक पहुंच गया। अगर अमेरिका के साथ ट्रेड डील नहीं हुई, तो घाटा और बढ़ सकता है। RBI ने नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में ब्याज दरें 125 आधार अंक घटाकर 5.25% की हैं, जो विकास को बढ़ावा देने वाली है, लेकिन इससे रुपये पर दबाव भी पड़ सकता है। फिर भी, रियल रेट्स 4.5% के आसपास हैं, जो उभरते बाजारों में आकर्षक है।

वर्तमान स्थिति:
आज (19 दिसंबर 2025) डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 90.25 पर कारोबार कर रहा है। हाल के दिनों में यह 91 के ऊपर गया था, लेकिन RBI के हस्तक्षेप से स्थिरता आई है। जेफरीज का मानना है कि रुपये में अब रेंज-बाउंड ट्रेडिंग होगी – न तेज उछाल, न और गहरा गिरावट। वुड ने कहा, “उम्मीद है कि रुपया यहां से बॉटम बना लेगा।”

कुल मिलाकर, भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत है, लेकिन ट्रेड नेगोशिएशंस, विदेशी फ्लो और RBI की नीतियां आगे की दिशा तय करेंगी। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं।

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