meerut news शहर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे शहरवासियों में डर और असुरक्षा की भावना फैल रही है। आए दिन कुत्ते हमला कर लोगों को घायल कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े इस खतरे की गंभीरता को और उजागर करते हैं।
जिले में रोजाना औसतन 300 से ज्यादा लोग केवल एंटी रैबीज इंजेक्शन (एआरवी) लगवाने स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुँच रहे हैं। वहीं, नगर निगम के अनुसार शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग एक लाख के करीब है, जो घटने के बजाय बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी आवारा कुत्तों को लेकर चिंता जाहिर की गई है। इसी कारण शहर में एक शेल्टर होम बनाने की संभावना पर विचार किया जा रहा है। इस साल पिछले तीन महीनों में अब तक 10,441 लोग कुत्तों के हमले का शिकार हुए हैं, यानी प्रतिदिन लगभग 116 लोग घायल हुए। यह संख्या सिर्फ उन्हीं का है, जिन्होंने जिला अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाई। कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें कुत्तों ने काटा लेकिन उनका रिकॉर्ड नहीं है। जिला अस्पताल में हर रोज एआरवी के लिए लंबी कतारें लग रही हैं। जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है ताकि लोगों को परेशानी न हो।
घरेलू कुत्तों का खतरा
मेरठ में करीब 1,200 खूंखार कुत्ते लोग घरों में पाल रहे हैं। शहर की डिफेंस कॉलोनी, साकेत, मवाना समेत कई पॉश कॉलोनियों में खतरनाक कुत्तों की संख्या अधिक है। हालांकि, नगर निगम से इस साल अब तक केवल 92 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। सुरक्षा के लिए पाले जाने वाले कुत्तों में पिटबुल, रॉटविलर, बक्सर, साइबेरियन, हस्की, डाबरमैन, पिन्सचर और बाक्सर ब्रीड के कुत्ते शामिल हैं। अनुमानित संख्या के अनुसार पिटबुल 30-40, रॉटविलर 100-150 और लगभग 1,000 कुत्ते साइबेरियन, हस्की, डाबरमैन, पिन्सचर और बाक्सर ब्रीड के हैं।
meerut news

