धुंध, कोहरा और प्रदूषण का बढ़ता स्तर सेहत के लिए बड़ा खतरा

नोएडा । धुंध, कोहरा और प्रदूषण सर्दियों के मौसम में आम समस्याएं बन गई हैं, जो स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती हैं। इन समस्याओं के कारण वायु गुणवत्ता खराब होती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, एलर्जी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। फेलिक्स अस्पताल के जनरल फिजीशियन डॉ. अंशुमाला सिन्हा कहना है कि धुंध और प्रदूषण के कारण बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। धुंध और कोहरा प्राकृतिक घटनाएं हैं, लेकिन जब ये प्रदूषण के साथ मिलते हैं, तो यह स्थिति और भी घातक हो जाती है।  इसे स्मॉग कहा जाता है।
धुंध और कोहरे के बढ़ते असर से बचाव जरूरी
स्मॉग के कारण वायु में सूक्ष्म कण (पीएम 2.5 और पीएम10) और हानिकारक गैसें, जैसे सल्फर डाइआॅक्साइड (एसओटू), नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड (एनओटू), और ओजोन (ओथ्री), बढ़ जाती हैं। इस कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक आॅब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का खतरा बढ़ता है। हानिकारक कण रक्त प्रवाह में घुसकर हृदय की समस्याएं पैदा कर सकते हैं। धुंध और प्रदूषण आंखों में जलन और त्वचा पर खुजली या रैशेज का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। फैक्ट्रियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैसें होती हैं। ठंड के मौसम में कचरे और पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है। सर्दियों में हवा का कम दबाव और नमी धुंध और कोहरे को लंबे समय तक बनाए रखते हैं। अस्थमा या सांस की दिक्कतों के लिए इनहेलर और ब्रोंकोडायलेटर्स का उपयोग करें। एलर्जी के लिए एंटीहिस्टामिन्स करें। गंभीर मामलों में आॅक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है।  नाक और गले की सफाई के लिए भाप लेना फायदेमंद हैं।
धुंध, कोहरा और प्रदूषण न केवल हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, बल्कि यह पर्यावरण और समाज के लिए भी चुनौती बनते जा रहे हैं।
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