जनरल चौहान दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, “युद्ध और युद्ध में जीत रणनीति पर निर्भर करती है। अतीत में रणनीति मुख्य रूप से भूगोल से निकलती थी, लेकिन अब तकनीक का तत्व भूगोल को पीछे छोड़ रहा है और उस पर हावी हो रहा है।”
उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि प्राचीन और मध्यकालीन युग में युद्ध, अभियान और संघर्षों का परिणाम भूगोल से काफी हद तक तय होता था। इलाके की समझ रखने वाले कमांडर इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते थे।
बेहतर रणनीति और सामरिक चालों से कई लड़ाइयाँ जीती गईं। हालांकि, अब युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। तकनीकी प्रगति जैसे ड्रोन, साइबर वारफेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट इमेजरी ने भूगोल की भूमिका को कम कर दिया है।
सीडीएस ने चेतावनी दी कि किसी भी संघर्ष में दांव हमेशा ऊँचे होते हैं और राष्ट्रों का भाग्य या अस्तित्व इसी पर टिका होता है।
इसलिए, आधुनिक सैन्य बलों को तकनीक को रणनीति का केंद्र बनाना होगा। उन्होंने भारतीय सेना की तैयारियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी रणनीति अब भू-आधारित सीमाओं से आगे बढ़कर अंतरिक्ष, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तक विस्तारित हो रही है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-चीन सीमा विवाद और पाकिस्तान के साथ तनाव बने हुए हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जनरल चौहान के विचार आधुनिक युद्ध की दिशा में भारतीय सेना की सोच को दर्शाते हैं। सरकार ने हाल ही में रक्षा बजट में तकनीकी नवाचार के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की है, जो इस दृष्टिकोण को मजबूत करती है।

