IHBAS News: दिल्ली के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (इहबास) अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों और उनके तीमारदारों को पीने के पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर रात के समय यह समस्या और भी विकराल हो जाती है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी हो रही है। इस मुद्दे की गहन जांच-पड़ताल से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रहे है।
रात में पानी के लिए भटकते मरीज और तीमारदार
इहबास के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि दिन के समय पानी की उपलब्धता सीमित होती है, लेकिन रात में स्थिति और खराब हो जाती है। एक मरीज के परिजन, राकेश कुमार ने बताया, “रात को पानी की बोतल या कूलर खाली हो जाता है, और कोई स्टाफ पानी भरने नहीं आता। हमें बाहर जाकर पानी खरीदना पड़ता है, जो हर किसी के लिए संभव नहीं।” कई मरीजों ने शिकायत की कि पानी की कमी के कारण दवाइयां लेने में भी दिक्कत होती है, जिससे उनकी सेहत पर और बुरा असर पड़ता है।
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही
जांच में पाया गया कि इहबास के इमरजेंसी वार्ड में पानी की आपूर्ति के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। वार्ड में लगे वाटर कूलर अक्सर खाली रहते हैं, और रात में ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों की संख्या कम होने के कारण पानी की व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जाता। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “रात की शिफ्ट में स्टाफ की कमी रहती है। पानी की टंकी भरने या बोतलें उपलब्ध कराने का जिम्मा स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते मरीजों को परेशानी हो रही है।”
स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
इहबास जैसे प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में पानी जैसी बुनियादी सुविधा की कमी न केवल मरीजों के लिए परेशानी का सबब है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाता है। दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों, जैसे झंझारपुर अनुमंडलीय अस्पताल और नवादा सदर अस्पताल, में भी बारिश के कारण जलजमाव और पानी की कमी जैसी समस्याएं हाल ही में सामने आई हैं। इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि सरकारी अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की कमी एक व्यापक समस्या है।
मरीजों की सेहत पर असर
पानी की कमी का सबसे ज्यादा असर उन मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ शारीरिक कमजोरी भी है। एक सीनियर फिजिशियन, के अनुसार, “शरीर में पानी की कमी से मरीजों की स्थिति और बिगड़ सकती है, खासकर मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे मरीजों में।” रात के समय पानी न मिलने से मरीजों को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है।
प्रशासन का जवाब और मांग
जब इस मुद्दे पर अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया गया, तो उन्होंने पानी की कमी को “अस्थायी समस्या” बताते हुए जल्द समाधान का आश्वासन दिया। हालांकि, मरीजों और परिजनों का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है और इसके लिए स्थायी समाधान की जरूरत है। परिजनों ने मांग की है कि वार्ड में 24 घंटे पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और रात की शिफ्ट में पर्याप्त स्टाफ तैनात किया जाए।
निष्कर्ष
इहबास जैसे प्रमुख अस्पताल में पानी की कमी जैसी बुनियादी समस्या न केवल प्रशासनिक लापरवाही को दिखा रही है, बल्कि यह मरीजों के स्वास्थ्य और उनकी मानसिक स्थिति के साथ खिलवाड़ भी कर रही है। सरकार और अस्पताल प्रशासन को तत्काल इस दिशा में कदम उठाने चाहिए, ताकि मरीजों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकें और उनकी देखभाल में कोई कमी न रहे।
इहबास अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में, पीने के पानी की किल्लत, रात में मरीजों की हो रही हालत बदतर

