ज़रा सोचिए आपके पास अचानक से फ़ोन आए और फ़ोन पर कोई व्यक्ति आपने आपके को कहे कि मैं एसपी बोल रहा हूँ और आपके खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज की गई है। गिरफ्तारी से बचना है तो साठगांठ करनी पड़ेगी और खर्चा देना पड़ेगा। आपको पता है कि आपके खिलाफ़ एफआईआर हो चुकी है तो ऐसे में कोई भी व्यक्ति आसानी से बातों में आ सकता है और ऐसा ही होता था। लेकिन एक गिरोह इस तरह की बातें करके ठगी करता था। फिलहाल पुलिस ने कड़ियां जोड़ जोड़ कर खुलासा कियां। खास बात है कि पुलिस कॉप ऐप से एफआईआर देख कर ये आरोपियों को फ़ोन किया करते थे, ताकि ठगी आराम से हो सके और किसी को शक ना हो। सेंट्रल नोएडा डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि एक शख्स ने थाना सेक्टर 63 नोएडा पर तहरीर दी कि दिनांक 19.08.2024 को शाम के समय वादी अपनी पत्नी के साथ सब्जी लेकर अपने कमरे पर जा रहा था। तभी रास्ते में चेतराम वाली गली में पानी के प्लांट के पास बाले यादव द्वारा वादी व उसकी पत्नी के साथ गाली गलौच करते हुए डंडे से मारपीट की गयी। जान से मारने की धमकी दी गयी, जिससे उक्त घटना में मारपीट करने से वादी व उसकी पत्नी को चोट आयी है। रिपोर्ट दर्ज कर उसकी पत्नी का सरकारी मेडिकल कराया गया।
सेंट्रल नोएडा डीसीपी ने बताया कि इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ, जिसमें किसी नारायन वर्मा नाम के व्यक्ति द्वारा फर्जी एसपी/जिला कलेक्टर बनकर मुकदमा अपराध संख्य 368/2024 के वादी के पास कॉल की गयी तथा वादी को बताया गया कि वह एसपी कार्यालय से साइबर सैल प्रभारी बात कर रहा है। वादी से उसके साथ घटित घटना के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्राप्त की गयी। पीड़ित द्वारा अपने साथ घटित घटना के सम्बन्ध में दर्ज कराये गये मुकदमें में अभियुक्त के विरूद्ध गिरफ्तारी वारण्ट निकालने एवं अभियुक्त की तत्काल गिरफ्तारी करने और अभियुक्त की 06 माह तक सुनवाई न होने देने तथा अभियुक्त की 06 माह तक जमानत न होने देने का भरोसा दिलाया गया। इसके बाद वादी से ऑनलाइन 3000 रूपये की मांग की गयी। वादी द्वारा पैसे देने से मना किया गया तो उक्त व्यक्ति नारायन वर्मा (फर्जी एसपी/जिला कलेक्टर) वादी के साथ गाली-गलौच की गयी तथा वादी के मुकदमें की फाईल का दबा देने एवं वादी के मुकदमें में कोई कार्यवाही न करने धमकी दी गयी।
पुलिस ने रिकार्डिग सुने के बाद लिया एक्शन
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल ऑडियो क्लिप का तत्काल संज्ञान लेते हुए पीड़ित से उक्त घटना के सम्बन्ध तहरीर प्राप्त कर थाना सेक्टर 63, धारा 318(4)/308(2)/352/351(4)/204 बीएनएस के तहत नारायन वर्मा (फर्जी एसपीध्जिला कलेक्टर) के खिलाफ दर्ज की गई। पुलिस की छवि धूमिल करने एवं वादी से उसके मुकदमें में कार्यवाही कराने के नाम पर पैसे की मांग करने वाले नारायन वर्मा (फर्जी एसपी/जिला कलेक्टर) की शीघ्र गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया गया। गठित टीम द्वारा फर्जी एसपी/जिला कलेक्टर की पहचान लोकल इंटेलिजेंस एवं गोपनीय सूचना के आधार पर मोबाइल को इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के माध्यम से ट्रेस किया गया तो उक्त मोबाइल धारक की पहचान धीरेन्द्र यादव पुत्र पहलवान यादव निवासी ग्राम बारी थाना लिधौरा, जनपद टीकमगढ़ मध्य प्रदेश के रूप में हुई। जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
अपराध करने का ये था तरीका
डीसीपी ने बताया कि गिरफ्तार धीरेन्द्र यादव ने बताया गया कि वह आम जनमानस की सुविधा हेतु उत्तर-प्रदेश पुलिस द्वारा चलाये गये यूपी कॉप एप का गलत प्रयोग कर दूरस्थ स्थान के जनपद व थाना का चयन करके धारा 323/324(मारपीट)/363(अपहरण) भादवि जैसी धाराओं की एफआईआर निकाल लेता था तथा एफआईआर में शिकायतकर्ता द्वारा दिये गये मोबाइल नंबर पर कॉल कर उनसे उनकी घटना के बारे में पूरी जानकारी करके उनके द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमें में अभियुक्त की गिरफ्तारी या अपहृत की बरामदगी एवं अन्य कार्यवाही कराने के नाम पर पैसे की मांग कर क्यूआर कोड एवं यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांजक्सन कराता था। यदि शिकायतकर्ता द्वारा उसे पैसे देने से मना किया जाता था तो उसके द्वारा शिकायतकर्ता के अभियोग की फाईल को दबा देने एवं कोई कार्यवाही न करने की धमकी दी जाती थी।
10वी फेल है फर्जी एसपी
एसीपी ने बताया कि धीरेन्द्र यादव (फर्जी एसपी/जिला कलेक्टर) 10वी कक्षा फेल है, जिसके द्वारा पिछले 01 वर्ष से यह कार्य किया जा रहा है। अभियुक्त द्वारा पूर्व में भी जनपद गाजियाबाद एवं गौतमबुद्धनगर में शिकायकर्ता से कॉल कर पैसे की मांग की जा चुकी है। अभियुक्त ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसके गांव में लगभग 7-8 लडके यही काम करते है। जो सुबह के समय जंगल में चले जाते है तथा यूपी कॉप एप से एफआईआर निकालते है और यूपी कॉप एप में टाईटल को देखकर यह जानकारी करते है कि किस प्रकार का मुकदमा एवं किन धाराओं में लिखा गया है तथा जांच अधिकारी का भी नाम पता कर लेते है। उसके बाद अपना टारगेट फिक्स करते है। ठगी करने वाले लोग कानून में आईपीसीध्बीएनएस की धाराओ की अच्छी जानकारी रखते है। अभियुक्त द्वारा पीड़ित से करीब 3,000 से 5,000 रूपये की मांग की जाती थी। जिससे कि कोई भी पीड़ित उसको आसानी से रूपये का ऑनलाइन ट्राजक्सन कर सके। आरोपी जिस सिम से कॉल की जाती है उस सिम के धारक का नाम पता फर्जी रहता है, फर्जी सिम अभियुक्त द्वारा अपने ही गांव बारी के रहने वाले पुष्पेन्द्र यादव से लिया जाता था तथा अभियुक्त प्रत्येक ट्रांजक्सन में पुष्पेन्द्र यादव का ही अकांउट यूपीआई/क्यूआर कोड का प्रयोग करता था। जिसके लिए उसको प्रत्येक ट्रांजक्शन पर 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। इस घटना में जिस मोबाइल का प्रयोग किया गया है उसका धारक अशोक कुमार पुत्र ठाकुर दास निवासी ग्राम बम्होरी सुहागी पोस्ट पथगुआं मुरानीपुर जनपद झांसी है, जोकि अभियुक्त के निवास स्थान से 40 किमी दूर का पता है। जिन अभियोग में सजा 07 वर्ष से कम एवं जिस केस में पीड़ित अधिक पैनिक स्थिति में हो उन्ही केस में कॉल की जाती है। पकड़े गए आरोपी इस बात का विश्वास दिलाने के लिए कि वह पुलिस विभाग से है, एफआईआर तत्काल डाउनलोड करके पीड़ित को भेज दी जाती है जिससे कि उन्हे विश्वास हो जाये कि यह लोग पुलिस विभाग से है।
थाना फेस-1, नोएडा पर पंजीकृत अभियोग में भी अपहृत की बरामदगी के बाद अभियुक्त द्वारा कॉल करके मुकदमें को तत्काल समाप्त कराने के लिए 1000 की मांग की गयी थी। जिसके सम्बन्ध में भी थाना फेस-1, नोएडा पर अभियोग पंजीकृत है। अब पुलिस आरोपियों को फर्जी सिम उपलब्ध कराने वाले पुष्पेन्द्र यादव के बारे में भी जानकारी कर रही है।