शाहबेरी कैसे बना गया अवैध निर्माण का गढ, जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की तैयारी

Shahberi illegal construction: ग्रेटर नोएडा वेस्ट इस वक्त भीषण ट्रैफिक जाम के लिए जाना जा रहा है लेकिन उससे पहले शाहबेरी काफी चर्चाओं में था अब सवाल ये है कि शाहबेरी अवैध निर्माण का गढ़ कैसे बन गया? इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कौन कौन अफसर और कर्मचारी जिम्मेदार है, तहकीकात हो रही है। आगे कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है। शाहबेरी में अवैध निर्माण और 2018 में हुई बिल्डिंग गिरने के हादसे में नौ लोगों की मौत के मामले में अब जाँच तेज हो गई है। यूपी सरकार ने मामले की जाँच उत्तर प्रदेश सतर्कता आयोग को सौंप दी है। विजिलेंस विभाग ने मेरठ शाखा को निर्देशित कर 2009 से 2018 तक की जाँच शुरू कर दी है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अलग अलग अफसर, पुलिस और तहसीलदार की भूमिका की जांच की जा रही है। सभी की जिम्मेदारी तय के बाद ही आरोप तय होगें।

इन अधिकारियों की मांगी कुंडली
बता दें कि सतर्कता आयोग ने ग्रेनो प्राधिकरण को नोटिस भेजकर 2009 से 2018 तक तैनात रहे एसीईओ, जनरल मैनेजर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी है। इन अधिकारियों में राजीव त्यागी, के कौशिक, भगवान सिंह और सुशील कुमार द्विवेदी जैसे लोग शामिल हैं। विजिलेंस विभाग इन अधिकारियों से संबंधित जानकारी एकत्र कर रहा है ताकि अवैध निर्माण के दौरान हुई लापरवाही की जाँच की जा सके।

डीएम बीएन सिंह की थी कड़ी कार्रवाई

तत्कालीन जिलाधिकारी बीएन सिंह ने शाहबेरी में अवैध रूप से फ्लैट बनाकर बेचने वालों पर भी कार्रवाई की थी। मान नामक बिल्डर पर एनएसए लगाया गया था, क्योंकि उसने बड़ी संख्या में यहाँ इमारतें बनाई जो कि मानको के अनुरूप नहीं है और उसमें भोले भाले लोगों को फ्लैट बेच दिए।

 

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