नई दिल्ली, टेक डेस्क। Facebook , Twitter और Google जैसी बड़ी टेक कंपनियों द्वारा सेल्फ रेगुलेटेड शिकायत अपीलीय समिति (Grievance Appellate Committee) के साथ आने का प्रयास विफल रहा है।हालांकि जब कंटेंट की बात आती है, तो फेसबुक और ट्विटर एक साथ खड़े नज़र आते है, लेकिन Google को आपत्ति है कि उद्योग के नेतृत्व वाली GAC द्वारा तैयार की गई कोई भी बाहरी नीति उसकी आंतरिक नीतियों के विरोध में हो सकती है।
Google को क्यूँ है इससे आपत्ति?
सोशल मीडिया कंपनियां, उद्योग बॉडी इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के साथ, एक स्व-नियामक तंत्र (Self-Regulatory Mechanism) की रूपरेखा तैयार कर रही थी। उद्योग विश्लेषकों ने बताया कि Google पर नेचर ऑफ कंटेंट फेसबुक या ट्विटर से काफी अलग है। उदाहरण के लिए, Google ज्यादातर एक एग्रीगेटर के रूप में कार्य करता है, जबकि अन्य दो यूजर्स के लिए अपने राजनीतिक विचारों को आवाज देने के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करते हैं, जो कई बार विवादास्पद हो जाते हैं, और सरकार ने ऐसे कंटेंट को ब्लॉक कर दिया है। इस संदर्भ में, तीनों के लिए सामान्य नियामक दिशानिर्देशों के साथ आना मुश्किल हो सकता है।
सोशल मीडिया कंपनियां, उद्योग बॉडी इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के साथ, एक स्व-नियामक तंत्र (Self-Regulatory Mechanism) की रूपरेखा तैयार कर रही थी। उद्योग विश्लेषकों ने बताया कि Google पर नेचर ऑफ कंटेंट फेसबुक या ट्विटर से काफी अलग है। उदाहरण के लिए, Google ज्यादातर एक एग्रीगेटर के रूप में कार्य करता है, जबकि अन्य दो यूजर्स के लिए अपने राजनीतिक विचारों को आवाज देने के लिए प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करते हैं, जो कई बार विवादास्पद हो जाते हैं, और सरकार ने ऐसे कंटेंट को ब्लॉक कर दिया है। इस संदर्भ में, तीनों के लिए सामान्य नियामक दिशानिर्देशों के साथ आना मुश्किल हो सकता है।
Google क्या कहती है?
Google के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने एक प्रारंभिक बैठक की थी और उद्योग के साथ-साथ सरकार के साथ सक्रिय चर्चा कर रहे हैं। हम सभी विकल्पों की खोज कर रहे हैं और सर्वोत्तम संभव समाधान खोजने के लिए हितधारकों (Stakeholders) के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।‘
सरकार की GAC कैसी होगी?
इस बीच सरकार अपने स्वयं के GAC की रूपरेखा तैयार कर रही है, जिसका नेतृत्व एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश कर सकते हैं। सरकार की सोच यह है कि GAC उन नागरिकों के लिए शिकायत निवारण मंच के रूप में भी काम कर सकती है, जिन्हें लगता है कि उनके डेटा का सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है।
इस साल जून में, सरकार ने सोशल मीडिया फर्मों के उपयोगकर्ताओं द्वारा शिकायतों को देखने के लिए एक शिकायत अपील समिति बनाने का फैसला किया था क्योंकि उसे लगा था कि कोई स्व-नियमन तंत्र (Self-Regulatory Mechanism) नहीं है।
सरकार के प्रस्ताव के अनुसार, जीएसी में एक अध्यक्ष और ऐसे अन्य सदस्य शामिल होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से नियुक्त कर सकती है।
जीएसी सोशल मीडिया फर्मों के शिकायत निवारण अधिकारियों द्वारा कंटेंट या खातों को ब्लॉक करने से संबंधित उपयोगकर्ताओं द्वारा शिकायतों का न्याय करेगा।
भारत सरकार के मंत्री क्या कहते हैं?
हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि अगर ट्विटर, फेसबुक और गूगल जैसे बिचौलिए, स्व-नियामक या स्व-निवारण अपीलीय तंत्र (self-regulatory or self-redressal appellate mechanism) के प्रस्ताव के साथ आते हैं, तो सरकार इस पर विचार करेगी।
उन्होंने यह भी कहा था कि एक अपीलीय पैनल की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि यूजर्स की शिकायतों पर निष्क्रियता (inaction) के कई उदाहरण थे। इसके साथ ही ऐसे मामले भी थे जहां उपयोगकर्ता सोशल मीडिया फर्मों के शिकायत अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों से असंतुष्ट थे।
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