Hong Kong News: हांगकांग की एक अदालत ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनकी चुनी हुई लिंग पहचान के अनुसार सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने का अधिकार प्रदान कर दिया है, इस निर्णय को एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण जीत माना जा रहा है। कोर्ट ने उन कानूनों को असंवैधानिक करार दिया, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को उनकी लिंग पहचान के अनुरूप शौचालयों का उपयोग करने से रोकते थे।
हांगकांग की हाई कोर्ट के जज रसेल कोलमैन ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पुरुषों और महिलाओं के लिए निर्धारित शौचालयों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रवेश को अपराध ठहराने वाले कानून संविधान के खिलाफ हैं। कोर्ट ने सरकार को इन प्रावधानों को संशोधित करने के लिए 12 महीने का समय दिया है।
यह मामला तब सामने आया जब एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ने उन कानूनों को चुनौती दी, जो उन्हें उनकी लिंग पहचान के अनुसार शौचालय का उपयोग करने से रोक दिया करते थे। याचिकाकर्ता का तर्क था कि मौजूदा कानून उनके मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि लिंग पहचान के आधार पर शौचालय उपयोग का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित है।
हांगकांग में यह निर्णय ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह न केवल उनकी लिंग पहचान को मान्यता देता है, बल्कि सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा देता है। इससे पहले, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव और असुविधा का सामना करना पड़ता था।
हालांकि, यह निर्णय भारत जैसे अन्य देशों में ट्रांसजेंडर अधिकारों की स्थिति से तुलना करने पर और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत में, सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में नालसा बनाम भारत संघ मामले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी थी और उनकी लिंग पहचान को संवैधानिक अधिकारों का हिस्सा माना था। इसके बावजूद, भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग शौचालयों की सुविधा अभी भी कई स्थानों पर अपर्याप्त है, जैसा कि दिल्ली हाई कोर्ट में 2021 में दायर एक जनहित याचिका में उल्लेख किया गया था।

