HIV outbreak in Bihar: हजारो से अधिक मरीज, सैकड़ों बच्चे प्रभावित, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

HIV outbreak in Bihar: बिहार के सीतामढ़ी जिले में एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) के मामलों में तेजी से वृद्धि ने स्वास्थ्य महकमे को चिंतित कर दिया है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यहां अब तक 7,948 से अधिक लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 400 से ज्यादा नाबालिग बच्चे शामिल हैं। कुछ रिपोर्ट्स में यह संख्या 8,000 के पार बताई जा रही है। हर महीने औसतन 40 से 60 नए मरीज सामने आ रहे हैं, जो इस महामारी के फैलाव की गंभीरता को उजागर कर दिया है।

जिले के एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक, कुल 4,954 मरीज सक्रिय रूप से इलाज करा रहे हैं। पिछले 13 वर्षों (1 दिसंबर 2012 से 1 दिसंबर 2025 तक) में यह संख्या 7,407 तक पहुंच चुकी थी, लेकिन हाल के महीनों में इसमें भारी उछाल आया है। बिहार में कुल एचआईवी प्रभावितों की संख्या 97,000 के आसपास बताई जा रही है, जिसमें सीतामढ़ी का योगदान सबसे अधिक है।

कारण: प्रवासी मजदूरों की भूमिका और जागरूकता की कमी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस विस्फोट का मुख्य कारण जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर हैं, जो दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों में काम करने के बाद लौटते हैं। सदर अस्पताल के मेडिकल अफसर डॉक्टर हसीन अख्तर ने बताया, “जिले में माइग्रेंट लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये लोग बाहर काम करते हैं और संक्रमण लेकर लौटते हैं। बच्चों में संक्रमण मुख्य रूप से माता-पिता से ही फैल रहा है।” इसके अलावा, जागरूकता की कमी, असुरक्षित यौन संबंध और जांच में देरी भी प्रमुख कारक हैं। हाल ही में स्कूलों में भी 387 बच्चों में एचआईवी के लक्षण पाए गए हैं, जो चिंता का विषय है।

आधिकारिक प्रतिक्रिया: जागरूकता अभियान तेज, लेकिन चुनौतियां बरकरार
स्वास्थ्य विभाग ने इस संकट से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाए हैं। जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर से हर महीने 5,000 मरीजों को दवा वितरित की जा रही है, जबकि कई मरीज बिहार के बाहर इलाज करवा रहे हैं। प्रशासन ने गांव-गांव जाकर एचआईवी टेस्टिंग कैंप लगाने और जागरूकता कार्यक्रमों को तेज करने का फैसला लिया है। डॉक्टर हसीन अख्तर ने मरीजों को सलाह दी, “जितने भी हमारे पॉजिटिव मरीज हैं, वे नेगेटिव व्यक्ति से शादी न करें। इससे संक्रमण और फैल सकता है।”
सरकार की ओर से एड्स जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में पहुंच की कमी और सामाजिक कलंक इस समस्या को और जटिल बना रहे हैं। सीतामढ़ी अब ‘हाई-लोड सेंटर’ के रूप में चिह्नित हो चुका है, जहां संसाधनों की मांग बढ़ रही है।

आगे की राह: तत्काल जांच और रोकथाम जरूरी
यह स्थिति न केवल सीतामढ़ी बल्कि पूरे बिहार के लिए एक चेतावनी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य स्तर पर संसाधन बढ़ाने का वादा किया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों में नियमित जांच और शिक्षा कार्यक्रम चलाए जाएं। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह महामारी और विकराल रूप धारण कर सकती है।

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