शीर्ष नेताओं की ऐतिहासिक मुलाकात, किम जोंग उन, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन एक मंच पर

North Korea/China News: पहली बार, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ एक मंच पर नजर आएंगे। यह ऐतिहासिक घटना एक भव्य सैन्य परेड के दौरान होगी, जिसका आयोजन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में होने जा रहा है। इस परेड का उद्देश्य उत्तर कोरिया की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने का संदेश देना है।

सैन्य परेड का आयोजन क्यों?
यह सैन्य परेड उत्तर कोरिया की स्थापना की 77वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस आयोजन का मकसद न केवल उत्तर कोरिया की सैन्य ताकत और तकनीकी प्रगति को दुनिया के सामने लाना है, बल्कि रूस और चीन के साथ अपने गहरे होते रणनीतिक संबंधों को भी प्रदर्शित करना है। यह परेड ऐसे समय में हो रही है, जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव चरम पर है, खासकर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ।

किम जोंग उन ने हाल के वर्षों में अपने परमाणु हथियारों और मिसाइल कार्यक्रमों को तेजी से बढ़ाया है, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बनी हुई है। इस परेड में उत्तर कोरिया की नवीनतम मिसाइलों और सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन होने की संभावना है, जो वैश्विक शक्ति संतुलन में देश की स्थिति को रेखांकित करेगा। शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाती है, क्योंकि यह तीनों देशों के बीच बढ़ते गठजोड़ का प्रतीक है।

वैश्विक संदर्भ और प्रभाव
यह सैन्य परेड और नेताओं की यह मुलाकात पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के लिए एक मजबूत संदेश के रूप में देखी जा रही है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध, साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच, यह आयोजन इन तीनों देशों के बीच एकजुटता का प्रदर्शन हो सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि यह परेड न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि एक कूटनीतिक कदम भी है, जो वैश्विक मंच पर इन देशों की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करता है।
हालांकि, इस आयोजन को लेकर कुछ आलोचनाएं भी सामने आई हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह परेड क्षेत्रीय स्थिरता को और अस्थिर कर सकती है, क्योंकि यह पश्चिमी देशों के साथ तनाव को और बढ़ा सकती है। इसके अलावा, उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था पर पहले से ही कई प्रतिबंध हैं, और इस तरह के भव्य आयोजनों पर भारी खर्च को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

निष्कर्ष
किम जोंग उन, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन का एक मंच पर आना न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी हो सकता है। यह सैन्य परेड उत्तर कोरिया की ताकत और उसके सहयोगी देशों के साथ मजबूत रिश्तों को दर्शाने का एक अवसर है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस आयोजन का वैश्विक शांति और स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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