एक रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्जरी अब केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं रह गई है। अविवाहित युवतियां भी बड़े स्तनों से जुड़ी शारीरिक असुविधा के चलते डॉक्टरों के पास पहुंच रही हैं। एम्स के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि इनमें से कई लड़कियां स्कूल या कॉलेज की छात्राएं हैं, जो खेलकूद या दैनिक गतिविधियों में बाधा महसूस करती हैं। “भारी स्तन न केवल पीठ दर्द का कारण बनते हैं, बल्कि सांस लेने में तकलीफ और खराब मुद्रा (पोश्चर) की समस्या भी पैदा करते हैं,” एक वरिष्ठ सर्जन ने कहा।
बढ़ते आंकड़े: 2019 से 100% वृद्धि
भारत में ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी की संख्या में उछाल आया है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से यह सर्जरी सालाना 100 प्रतिशत बढ़ रही है। नई दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल में डॉ. सुधांशु पुनीया ने बताया, “पहले हम महीने में एक सर्जरी करते थे, अब सप्ताह में कम से कम एक।” टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 2021 में ही पूरे देश में लगभग 15,000 महिलाओं ने यह सर्जरी कराई, जो ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी (31,608 मामलों) से कम लेकिन ब्रेस्ट लिफ्ट (11,520 मामलों) के साथ मिलाकर लगभग बराबर हो जाती है।
यह वृद्धि विशेष रूप से महानगरों में देखी जा रही है, जहां युवा महिलाएं करियर और लाइफस्टाइल के दबाव में हैं। हिंदुजा अस्पताल, मुंबई के प्लास्टिक सर्जन डॉ. अनिल तिबड़ेवाला का कहना है, “भारत में औसत स्तन आकार यूरोपीय देशों से बड़ा है।
17 साल की लड़की अगर शारीरिक असुविधा के कारण सर्जरी चाहे, तो माता-पिता अब सहयोग करते हैं।” हाल के वर्षों में, युवा लड़कियों के मामले 40-50 प्रतिशत बढ़े हैं, जो पहले मुख्य रूप से मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं तक सीमित थे।
कारण: शारीरिक बोझ से मानसिक तनाव तक
बड़े स्तनों की समस्या, जिसे मेडिकल भाषा में मैक्रोमेस्टिया या ब्रेस्ट हाइपरट्रॉफी कहा जाता है, कई कारणों से होती है। आनुवंशिकता, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा और गर्भावस्था के बाद वजन बढ़ना प्रमुख हैं। प्रैक्टो हेल्थ विकी के अनुसार, इससे पीठ दर्द, कंधों पर निशान पड़ना, त्वचा में रैशेज और व्यायाम करने में कठिनाई होती है। एक 31 वर्षीय कॉर्पोरेट वकील पूजा (नाम बदला गया) ने अपनी 15 साल पुरानी इच्छा पूरी करते हुए सर्जरी कराई। “मुझे हमेशा लगता था कि मेरा शरीर असंतुलित है। अब कार्यस्थल पर आत्मविश्वास महसूस होता है,” उन्होंने कहा।
मानसिक प्रभाव भी कम नहीं। डॉ. आकांक्षा गोयल के अनुसार, “युवा लड़कियां खुद को लेकर असुरक्षित महसूस करती हैं, जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है।” सर्जरी के बाद अधिकांश महिलाओं को तत्काल राहत मिलती है, और सफलता दर 90 प्रतिशत से ऊपर है।
सर्जरी: प्रक्रिया, लागत और सावधानियां
ब्रेस्ट रिडक्शन सर्जरी में अतिरिक्त वसा, ग्रंथि ऊतक और त्वचा को हटाया जाता है, जिससे स्तन का आकार संतुलित हो जाता है। यह 2-4 घंटे की प्रक्रिया है, और रिकवरी में 1-2 सप्ताह लगते हैं। इंडिक्योर हेल्थ के अनुसार, भारत में लागत 1.5 लाख से 4 लाख रुपये तक है, जो अमेरिका (15-20 लाख) से काफी कम है। हालांकि, स्वास्थ्य बीमा इसे कॉस्मेटिक सर्जरी मानकर कवर नहीं करता।
डॉ. मिलन डोशी, मुंबई के प्रसिद्ध सर्जन, ने चेतावनी दी, “अविवाहित महिलाओं के लिए न्यूनतम निशान वाली तकनीकें जैसे वर्टिकल या सर्कमएरियोलर चुनें।” सर्जरी से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूरी है, खासकर यदि भविष्य में स्तनपान की योजना हो।
जागरूकता का संदेश: समय रहते कदम उठाएं
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सर्जरी महिलाओं को अपने शरीर पर नियंत्रण दिलाती है। “यह केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि स्वास्थ्य का मुद्दा है,” डॉ. राजत गुप्ता ने कहा। युवा महिलाओं को सलाह दी जाती है कि पीठ दर्द या असुविधा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और ब्रा का सही साइज चुनना शुरुआती रोकथाम के उपाय हैं।
भारत जैसे विकासशील देश में यह प्रवृत्ति महिलाओं के सशक्तिकरण का संकेत भी है, जहां वे अब अपनी सेहत को प्राथमिकता दे रही हैं। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रही हैं, तो किसी योग्य प्लास्टिक सर्जन से बात करें—समय रहते कदम उठाने से जीवन बदल सकता है।

