Heat wave: अंगारों की बारिश ने बिछाई लाशें
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Heat wave: अंगारों की बारिश ने बिछाई लाशें

प्रयागराज में 4 श्मशान घाटों पर 24 घंटे में 414 शवों का अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम हाउस में शवों का अंबार…
भर गए डीप फ्रीजर, बदबू के कारण डॉक्टर को भी आया चक्कर

Heat wave: आसमान से बरसती आग के बीच मंगलवार को पछुआ हवा चली। इससे कोई तात्कालिक राहत तो नहीं मिली लेकिन लोगों उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यदि एक दो दिन और पछुआ चलती है तो बारिश होगी। ऐसे में तापमान में कमी आएगी जिससे तेज गर्मी से राहत मिलेगी। उधर मंगलवार को दिनभर भीषण गर्मी और गर्म हवा से लोग बेहाल रहे। आसमान से अंगारों की बारिश के बीच मौतों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। एसआरएन अस्पताल के मोर्चरी में मंगलवार को शवों का अंबार लगा रहा। यहां लगे दो डीप फ्रीजर भर जाने के बाद हॉल में एक के ऊपर एक शवों को रखवाया गया। शाम करीब साढ़े सात बजे तक 36 शवों का पोस्टमार्टम हो सका। जबकि, करीब 50 शवों की बारी ही नहीं आ सकी। मंगलवार को तापमान में भले ही गिरावट हो गई, लेकिन जिले में मौतों की संख्या कम नहीं हुई। पोस्टमार्टम हाउस में कदर शवों के ढेर लगे कि परिजनों को अपनों के शवों को पहचाना मुश्किल हो गया। शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से यहां के दोनों डीप फ्रीजर भर गए।

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पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक को आया चक्कर
मंगलवार दोपहर गर्मी और बदबू की वजह से पोस्टमार्टम कर रहे एक चिकित्सक को चक्कर आ गया। इस दौरान वहां मौजूद अन्य डॉक्टर और फार्मासिस्टों ने उन्हें बाहर निकालकर दूसरे कमरे में पहुंचाया। थोड़ी देर बाद उन्हें आराम मिलने पर दोबारा पोस्टमार्टम शुरू कराया गया।

तीन घंटे लग गए भाई का शव को खोजने में
करेली के 60 फीट रोड निवासी दिलशाद की सोमवार को फंदे पर लटकने की वजह से मौत हो गई हो गई थी। देर होने की वजह से पोस्टमार्टम नहीं हो सका। मंगलवार को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे भाई वसीम को उसके शव को पहचानने के लिए बुलाया गया तो वह काफी देर तक परेशान होता रहा।
वह अपने भाई के शव को खोज ही नहीं पा रहा था। कई बार अंदर जाकर उसने शव को पहचानने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। करीब तीन घंटे बाद वसीम ने अपने भाई के कपड़े से शव की पहचान की। इसके बाद उसका पोस्टमार्टम हाे सका।

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परिजनों के बैठने वाले कमरे में रखवाया गया शव
पोस्टमार्टम हाउस में जगह न होने की वजह से मंगलवार को अज्ञात शवों को रिजनों के बैठने के लिए बने भवन में रखवाना पड़ा। इसकी वजह से लोगों को बैठने के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों का कहना था कि इनमें से ज्यादातर शवों की मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्टअटैक बताया गया है।

प्रयागराज में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची। शृंग्वेरपुर धाम श्मशान घाट के रास्ते शव लेकर आने वालों की भीड़ से पैक हो गए। वहां दो पहिया वाहनों को खड़ा करने की भी जगह नहीं बची। मंगलवार को शहर और आसपास के चार श्मशान घाटों को मिलाकर 414 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
मंगलवार दोपहर दो बजे तक चिताओं की संख्या 100 तक पहुंच गईं। देर रात तक यहां 150 शवों के अंतिम संस्कार किए गए। इस दौरान घाट पर लकड़ियों की भी किल्लत हो गई। इसी तरह झूंसी के छतनाग श्मशान घाट पर दो दिन के भीतर 92 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
श्मशान घाटों पर धधकती चिताएं प्रचंड गर्मी की गवाही दे रही थीं। पिछले दो दिनों से छतनाग श्मशान घाट पर चिता की राख ठंडी तक नहीं हो पा रही है। पिछले दो दिनों से छतनाग श्मशान घाट पर दिनरात चिताएं जलाई जा रही हैं।
गर्मी और लू लगने के कारण मरने वालों में बुजुर्ग, अधेड़ के साथ ही युवाओं की संख्या भी ज्यादा है। एक साथ भारी तादाद में चिताओं को जलाने के लिए लकड़ी तक कम पड़ जा रही है। ऐसे में आसपास के इलाकों से श्मशान घाट पर लकड़ी मंगाई जा रही है। फाफामऊ श्मशान घाट पर इस दिन 32 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।

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