नोएडा । हार्ट अटैक (Heart Attack) कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह लंबे समय की लापरवाही का परिणाम होता है। सर्दी के मौसम में विशेष सतर्कता बरतने, दवाओं को नियमित लेने और समय-समय पर जांच कराने से इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। फेलिक्स अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अनूप त्रिपाठी ने बताया कि सर्दी का मौसम आते ही हार्ट अटैक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
Heart Attack
ओपीडी से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक में दिल से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण मरीजों द्वारा समय पर ब्लड प्रेशर (बीपी), शुगर और हार्ट की नियमित दवाएं न लेना है। ठंड के मौसम में दवाओं को लेकर बरती जा रही बेफिक्री कई बार जानलेवा साबित हो रही है। सर्दी में शरीर की रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है। ठंड के कारण हार्ट को रक्त पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ठंड में शारीरिक गतिविधि कम होती है। लोग धूप में कम निकलते हैं। खानपान में भी बदलाव होता है। ज्यादा तला-भुना और वसायुक्त भोजन हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डालता है। अस्पतालों में आने वाले कई मरीज यह बताते हैं कि ठंड के कारण वह समय पर दवा नहीं ले पाते या यह सोचकर दवा छोड़ देते हैं कि तबीयत ठीक है।
खासकर बीपी और शुगर के मरीजों में यह प्रवृत्ति ज्यादा देखी जा रही है। डॉक्टर के अनुसार बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की दवाएं छोड़ने से अचानक हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ता है। लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर अस्पताल पहुंचने से जान बचाई जा सकती है।

