Health Tips:पेनकिलर्स का ज्यादा प्रयोग खराब करता है किडनी
Health Tips: व्यस्त जीवनशैली, बढ़ती महंगाई और इंटरनेट के बढ़ते चलन से सेल्फ मेडिकेशन और पेनकिलर्स लोगों की आदत बन चुकी है।लोग मेडिकल स्टोर से फार्मासिस्ट को समस्या के लक्षण बताकर दवाई ले रहे हैं। जबकि यह आदत गंभीर बीमारी के जन्म के साथ किडनी को खराब कर रही है।
यह बातें मेट्रो अस्पताल में सीनियर कंसलटेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष सिंह ने विश्व किडनी दिवस पर कही। किडनी मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे नाइट्रोजनयुक्त वेस्ट मटेरियल उत्पादों से ब्लड को फिल्टर करने के लिए जिम्मेदार होती है। यह सभी टॉक्सिन्स हमारे ब्लैडर में जाते हैं और पेशाब करते समय बाहर निकल जाते हैं। लाखों लोग किडनी की कई तरह की बीमारियों के साथ रहते हैं और इनमें से ज्यादातर को इसका अंदाजा नहीं होता। यही वजह है कि किडनी की बीमारी को अक्सर साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है।
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किडनी खराब होने के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि ज्यादातर लोगों को बीमारी के बढऩे तक कोई अतंर महसूस नहीं होता। जब चोट लगने, हाई ब्लड प्रेशर या फिर मधुमेह के कारण किडनी डैमेज हो जाती हैं, तो यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पाती। जिससे जहर का निर्माण होता है। ऐसे में किडनी ठीक से काम नहीं करती और टॉक्सिन जमा हो सकते हैं। शुरुआती अवस्था में उपाय करने से किडनी को खराब होने से रोका जा सकता है।
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हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल से पीडि़त लोगों में किडनी के जल्दी खराब होने का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है। इसलिए इन लोगों को अपने स्वास्थ्य पर नजर बनाए रखनी चाहिए। मेडिकल टेस्ट से शुरुआती चरण में समस्याओं का पता लगाने और इलाज शुरू करने में मदद मिलती है। कब्ज जैसी समस्या को दूर करने के लिए लैक्जेटिव मेडिसिन इस्तेमाल में लाई जाती हैं। साधारण तौर पर किसी भी डिलीवरी या सर्जरी के पहले पेट साफ करने के लिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं, लेकिन इन दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने से पेट में दर्द, डिहाइड्रेशन, लैक्जेटिव कोलाइटिस, लूज मोशन, किडनी में स्टोन और हार्ट की मसल्स में कमजोरी हो सकती है।
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों को खतरा अधिक
एक्यूट किडनी इंजरी में किडनी तात्कालिक रूप से खराब हो जाती है और बाद में रोगी ठीक हो जाते हैं। वहीं क्रॉनिक किडनी डिजीज- इसमें किडनी धीरे-धीरे खराब होती हैं। जब गुर्दे पूरी तरह खराब हो जाते हैं, तब किडनी ट्रांसप्लांट या लगातार डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, दर्द की दवाओं का अत्यधिक सेवन, किडनी में पथरी की बीमारी, पेशाब में बार-बार इंफेक्शन होना, पेशाब में रुकावट होना किडनी को खराब करने में अहम किरदार निभाते हैं।
किडनी खराब होने के लक्षण…
-भूख में कमी आना
-टखने और पैरों में सूजन
-कमजोरी और थकान महसूस होना
-त्वचा में सूखापन और खुजली
-बार-बार पेशाब आना
किडनी को खराब होने से ऐसे बचाए—–
Health Tips: डायबिटीज की समस्या बढ़ चुकी है। अनियंत्रित डायबिटीज किडनी के खराब होने का प्रमुख कारण है। इसलिए
ब्लड शुगर को नियंत्रित करें। संतुलित आहार लें। चीनी और मीठी चीजों से परहेज करें। तली हुई वसायुक्त चीजें कम खाएं। पेशाब में माइक्रोएल्ब्यूमिन की जांच कराएं। अगर ब्लड प्रेशर बढ़ता है या पेशाब में प्रोटीन आता है तो एसीई इनहिबिटर्स या एआरबीएस दवाओं का इस्तेमाल करें। ब्लड प्रेशर को 130/80 के आसपास नियंत्रित करें। खाने में नमक कम खाएं और वसायुक्त खाना कम लें। संक्रमण से बचें खासकर गले, छाती के संक्रमण से। शरीर में सूजन हो तो डॉक्टर से मिलें। अगर किसी मरीज को पेशाब में जोर लगाना पड़ता हो तो रुकावट हो सकती है। इसकी जांच करानी चाहिए। अगर पेशाब में खून आता है तो यह लक्षण पथरी या कैंसर की गांठ के कारण हो सकता है ।
इन बातों का रखे ध्यान
-खाने में फलों-सब्जियों को वरीयता दें।
-नियमित व्यायाम करें, तनाव को हावी न होने दें
-पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ज्यादा वसायुक्त और प्रोटीनयुक्त भोजन न करें।
-उम्र 60 पार होने पर डॉक्टर के परामर्श से दवा लेनी चाहिए।
-पेन किलर्स के इस्तेमाल से बचें