सूरज डूबते ही लकवा मार जाता था, डॉक्टरों ने सुलझाई 20 महीने पुरानी पहेली

Pakistan/Islamabad News: पाकिस्तान के एक छोटे से गांव में रहने वाले तीन भाइयों की जिंदगी एक रहस्यमयी बीमारी से ग्रस्त थी। दिन भर वे सामान्य रूप से कामकाज करते, लेकिन जैसे ही सूरज डूबता, उनके शरीर पर लकवा का दौरा पड़ जाता। शाम ढलते ही वे बिस्तर पर पड़े रहते और अगले दिन सूर्योदय तक बिल्कुल लाचार हो जाते। यह अनोखी स्थिति न सिर्फ परिवार को परेशान कर रही थी, बल्कि स्थानीय डॉक्टरों के लिए भी एक चमत्कारिक पहेली बन चुकी थी। आखिरकार, एक डॉक्टर की लगभग दो साल की मेहनत ने इस रहस्य का पर्दाफाश कर दिया।

यह मामला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक ग्रामीण इलाके से जुड़ा है। तीनों भाई—जिनकी उम्र 15 से 22 साल के बीच बताई जा रही है—दिन की रोशनी में पूरी तरह स्वस्थ दिखते। वे खेतों में काम करते, खेलते-कूदते और परिवार के साथ भोजन करते।

लेकिन सूरजास्त होते ही उनका शरीर सुन्न पड़ जाता। हाथ-पैरों में कमजोरी आ जाती, बोलने की क्षमता खत्म हो जाती और वे पूरे रात भर बेबस पड़े रहते। मीडिया में इनके बारे में चर्चा हुई कि ये भाई “सूरज के साथ उगते हैं और सूरज के साथ ही डूब जाते हैं।” परिवार वाले तो इसे किसी बुरी आत्मा का साया मानने लगे थे, लेकिन चिकित्सा विज्ञान ने आखिरकार इसका वैज्ञानिक कारण ढूंढ निकाला।

इस मामले की जांच डॉक्टर जावेद अकरम ने संभाली। उन्होंने बताया कि पौने दो साल (करीब 20 महीने) की कड़ी मेहनत और गहन जांच के बाद पता चला कि भाइयों को एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है। यह स्थिति ‘सनलाइट-डिपेंडेंट पैरालिसिस’ (सूर्यप्रकाश-निर्भर लकवा) से जुड़ी हुई थी। डॉक्टरों के अनुसार, इनके शरीर में एक जेनेटिक म्यूटेशन था, जो विटामिन डी के अवशोषण को प्रभावित करता है। दिन की रोशनी में विटामिन डी का स्तर सामान्य रहता, जो मांसपेशियों को ताकत देता है। लेकिन रात में इसकी कमी होने पर नर्वस सिस्टम ठप हो जाता, जिससे लकवा जैसे लक्षण प्रकट होते।

“हमने कई टेस्ट किए—ब्लड रिपोर्ट, एमआरआई, जेनेटिक स्कैनिंग। सब कुछ सामान्य था, सिवाय विटामिन डी मेटाबॉलिज्म के। सूरज की रोशनी खत्म होते ही उनके हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता,” डॉक्टर जावेद ने अपनी रिपोर्ट में कहा। यह बीमारी इतनी असामान्य है कि दुनिया भर में इसके सिर्फ चंद मामले ही दर्ज हैं। पाकिस्तान में यह पहला ऐसा केस था, जहां सूर्य की रोशनी सीधे लक्षणों से जुड़ी हुई थी।

उपचार के तौर पर डॉक्टरों ने भाइयों को हाई-डोज विटामिन डी सप्लीमेंट्स दिए, साथ ही रात में यूवी लाइट थेरेपी की सलाह दी। अब स्थिति में काफी सुधार है। सबसे बड़े भाई ने बताया, “अब रातें पहले जैसी डरावनी नहीं लगतीं। डॉक्टर साहब ने हमारी जिंदगी लौटा दी।” परिवार ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि अब भाई रात में भी सामान्य गतिविधियां कर पा रहे हैं।

यह घटना चिकित्सा जगत के लिए एक सबक है कि कई बार पारंपरिक बीमारियां असामान्य कारणों से जुड़ी होती हैं। डॉक्टर जावेद की टीम अब इसी तरह के अन्य मामलों पर शोध कर रही है, ताकि ग्रामीण इलाकों में ऐसी बीमारियों का जल्दी पता लग सके। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस केस को स्टडी के लिए शामिल किया है, जो भविष्य में कई जिंदगियों को बचा सकता है।

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