हाथरस: बाबा बुलडोज़र के राज्य में फर्जी मुठभेड़ के मामले में दो निर्दोष युवक हुए रिहा, SHO और इंस्पेक्टर हुए सस्पेंड

Hathras News: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले ने पुलिस महकमे को शर्मसार कर दिया है। डकैती के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो युवकों को जांच में कोई ठोस सबूत न मिलने के बाद शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिया गया। इस घटना के खुलासे के बाद लापरवाही बरतने के आरोप में स्थानीय थाने के प्रभारी SHO ममता सिंह और एंटी-थेफ्ट टीम के इंस्पेक्टर मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है।

जानकारी के अनुसार, यह मामला 9 अक्टूबर को मूसन थाना क्षेत्र में सामने आया था। पुलिस ने दावा किया था कि डकैती के दो बदमाशों को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से एक को पैर में गोली लगी थी। गिरफ्तार युवकों की पहचान अलीगढ़ जिले के इगलास क्षेत्र के बड़ाकलां गांव के निवासी ओमवीर उर्फ सोनू और देवा उर्फ सूर्यदेव सिंह के रूप में हुई। सोनू को पैर में गोली मारी गई थी, जबकि देवा को भी चोटें आईं।

हालांकि, युवकों के परिजनों ने शुरू से ही मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई। परिजनों का आरोप था कि दोनों निर्दोष हैं और उन्हें झूठे फंसाया गया। प्रारंभिक जांच में खामियां सामने आने के बाद पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए SHO ममता सिंह और इंस्पेक्टर मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया। जांच को सदर थाना हाथरस गेट को सौंप दिया गया, जो सीओ सिटी की निगरानी में चल रही है।

गहन जांच के दौरान अधिकारियों को दोनों युवकों के खिलाफ कोई अपराधी सबूत नहीं मिला। मजिस्ट्रेट जांच में पेश की गई अंतिम रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने दोनों को बरी कर दिया। शुक्रवार को दोनों युवक जेल से रिहा होकर अपने घर लौट आए।

वर्तमान में इस पूरे प्रकरण की मजिस्ट्रेट जांच सदर एसडीएम राजबहादुर सिंह और सीओ नगर योगेंद्र कृष्ण नारायण द्वारा की जा रही है। जिलाधिकारी राहुल पांडे ने भी एसडीएम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की है।

एसपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया, “मामले की निष्पक्ष जांच कराई जा रही है। लापरवाही पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।” परिजनों ने निलंबन की कार्रवाई का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने मांग की है कि दोषियों को कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यह घटना पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही है। फर्जी मुठभेड़ के आरोपों ने स्थानीय स्तर पर आक्रोश फैला दिया है, और जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

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