उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार में प्रदेश का किसान कर्ज के बोझ के नीचे दब गया है। जहां 2022 में 6 लाख 58 हजार किसानों ने कर्ज लिया था, वहीं 2023 में 11 लाख 49 हजार किसान कर्जदार बन गए हैं। किसानों को खट्टर सरकार में न एमएसपी मिला, न मुआवजा मिला और अगर सड़कों पर प्रदर्शन किया तो सिर्फ लट्ठ मिले। हालत ये हो गए हैं कि पिछले एक वर्ष में ही पांच लाख से ज्यादा किसान कर्जदारों की सूची में जुड़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार का पिछले 9 सालों से किसानों के साथ पोर्टल पोर्टल का खेल चल रहा है। फसल का बीमा करवाना है तो पोर्टल, फसल की बिक्री करनी है तो पोर्टल और खराब फसल का मुआवजा लेना है तो पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने का फरमान जारी कर दिया जाता है। खट्टर सरकार ने किसानों की मदद करने की बजाय उनको पोर्टल में उलझा कर रख दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान खट्टर सरकार से इस कदर परेशान है कि किसानों ने बीजेपी नेताओं को गांव में घुसने तक से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर किसानों से दुश्मनी निभाना बंद करें और किसान हित में सोचकर उनकी मदद करें, नहीं आने वाले समय में किसान ही बीजेपी को आईना दिखाने का काम करेंगे।