हुड्डा ने कहा कि नारनौल की मंडियों में बाजरा ₹1800 से ₹1850 रुपये प्रति क्विंटल में पिट रहा है, लेकिन सरकारी खरीद एक भी दाने की नहीं हुई। नूंह जिले की मंडियों में भी बाजरे का एक दाना नहीं खरीदा गया। किसानों को ₹1700-₹1800 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर एक पैसा नहीं मिला। हिसार की मंडियों का हाल तो और भी बेहाल है। एमएसपी ₹2775 प्रति क्विंटल होने के बावजूद किसान नुकसान झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिसार की मंडियों में 40,000 टन मूंग पहुंची है, जिसमें से सरकारी एजेंसियों ने एक भी दाना नहीं खरीदा। भिवानी मंडी में भी कपास और बाजरा औने-पौने दामों पर बिक रहे हैं। भिवानी मंडी में कपास ₹6500-₹7200 प्रति क्विंटल बिक रही है, जबकि एमएसपी ₹8100 प्रति क्विंटल है। सरकारी खरीद न होने से सिर्फ मिलर ही खरीद कर रहे हैं, जिसका पूरा नुकसान किसानों को हो रहा है।
हुड्डा ने सवाल उठाया कि सरकारी एजेंसियां कह रही हैं कि मानकों के अनुसार फसल नहीं, इसलिए खरीद नहीं हो रही। कौन से मानक? कैसे मानक? बीज बेचते समय तो मानक सही थे, तो फिर फसल के समय मानक कैसे गड़बड़ा गए? क्या किसान ने अपने घर पर बाजरे की फसल तैयार की? अगर बीज गलत थे, तो किसान घाटा क्यों भुगते? गलत बीज बेचने वालों पर कोई कार्रवाई हुई? क्या पूरे हरियाणा में ही गलत बीज बिकवाए गए? जब बीज की बिक्री हो रही थी, तो भाजपा सरकार और उसके नुमाइंदे कहां थे? ये सब फसल की सरकारी खरीद न करने के बहाने मात्र हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को एमएसपी का लाभ देने के वादों पर खरी नहीं उतर रही। भावांतर योजना का नाम लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। किसानों को तत्काल राहत दी जाए, एमएसपी पर पूर्ण खरीद सुनिश्चित की जाए और गलत बीज बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई हो। अन्यथा कांग्रेस व किसान आंदोलन को मजबूर होंगे।

