हरियाणा आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार सुसाइड केस: नौ दिन बाद पोस्टमॉर्टम, अंतिम संस्कार संपन्न; दो मौतों ने बढ़ाई जांच की जटिलता

Haryana IPS officer Y. Puran Kumar suicide case news : हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी और एडीजीपी रैंक के वाई पूरण कुमार की मौत के नौ दिन बाद आखिरकार उनके शव का पोस्टमॉर्टम हो गया। बुधवार को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में मेडिकल बोर्ड ने चार घंटे तक चली प्रक्रिया पूरी की, जिसके बाद शाम को सेक्टर-25 स्थित श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना ने हरियाणा पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न के आरोपों को लेकर राजनीतिक हलचल मचा दी है। परिवार की सहमति के बाद सरकार ने राहत की सांस ली, लेकिन एक अन्य पुलिसकर्मी की खुदकुशी ने मामले को और उलझा दिया है।

घटना का विवरण और समयरेखा
वाई पूरण कुमार (52), जो 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे, ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। मौत से पहले उन्होंने एक 8-9 पेज का ‘फाइनल नोट’ छोड़ा, जिसमें हरियाणा डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया समेत 8 से 12 वरिष्ठ आईपीएस और आईएएस अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार के गंभीर आरोप लगाए गए। नोट में उन्होंने लिखा कि उन्होंने कई बार शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे वे इस कदम पर मजबूर हुए।

परिवार, विशेष रूप से पत्नी अमनीत पी कुमार (वरिष्ठ आईएएस अधिकारी), ने पोस्टमॉर्टम के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि जब तक आरोपी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर में नाम शामिल कर गिरफ्तारी नहीं होती, वे शव नहीं सौंपेंगी। इस वजह से शव नौ दिनों तक पीजीआई के मोर्चरी में रखा रहा। चंडीगढ़ पुलिस ने 14 अक्टूबर को स्थानीय अदालत में याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने अमनीत को नोटिस जारी कर शव की पहचान और पोस्टमॉर्टम के लिए निर्देश देने की मांग की।

परिवार की सहमति और पोस्टमॉर्टम
14 अक्टूबर की रात हरियाणा सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया का पहले ही ट्रांसफर कर चुकी थी। इन कदमों के बाद अमनीत ने 15 अक्टूबर को सहमति दे दी। उन्होंने बयान जारी कर कहा, “चंडीगढ़ पुलिस की निष्पक्ष जांच के आश्वासन और हरियाणा सरकार की आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रतिबद्धता को देखते हुए मैं सहमत हूं। मुझे न्यायपालिका और पुलिस पर पूरा भरोसा है। जांच पेशेवर, निष्पक्ष और समयबद्ध होनी चाहिए।”

पोस्टमॉर्टम सुबह 11:45 बजे शुरू हुआ और दोपहर 1:22 बजे तक चला। चार विशेषज्ञों के मेडिकल बोर्ड ने मजिस्ट्रेट की निगरानी में, बैलिस्टिक एक्सपर्ट की मौजूदगी में और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी के साथ इसे पूरा किया। रिपोर्ट स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को सौंपी जाएगी। उसके बाद शव परिवार को सौंपा गया और शाम 4 बजे सेक्टर-25 श्मशान घाट में अंतिम संस्कार हुआ। आईएएस अधिकारी पंकज अग्रवाल और राज नारायण कौशिक समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। श्मशान घाट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात था।

दूसरी खुदकुशी ने बढ़ाई जटिलता
मामले में नया मोड़ तब आया जब 14 अक्टूबर की शाम रोहतक साइबर सेल में तैनात एएसआई संदीप कुमार (या संदीप लठार, नामों में कुछ भिन्नता) ने खुद को गोली मार ली। संदीप ने तीन पेज का सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज छोड़ा, जिसमें उन्होंने पूरण कुमार को ‘पूरी तरह भ्रष्ट’ बताते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने जाति की राजनीति से सिस्टम को हाईजैक किया, भ्रष्ट लोगों को नियुक्त किया, अधिकारियों को प्रताड़ित किया और महिलाओं का उत्पीड़न किया। संदीप ने दावा किया कि पूरण कुमार के गनमैन को 2.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा था, जिसके डर से पूरण ने खुदकुशी की। उन्होंने डीजीपी कपूर और एसपी बिजारनिया को ईमानदार बताते हुए आईएएस लॉबी पर साजिश का आरोप लगाया।

संदीप की मौत के बाद जाट समुदाय ने उनका शव जब्त कर लिया और गिरफ्तारी की मांग की, जिससे रोहतक और जींद में प्रदर्शन हुए। हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा, “यह दुखद घटना है। निष्पक्ष जांच होगी और दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, चाहे कितने प्रभावशाली हों।”

राजनीतिक हलचल और मांगें
घटना ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 14 अक्टूबर को परिवार से मुलाकात की और दलितों के सम्मान की मांग की। विपक्षी नेताओं जैसे दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अभय सिंह चौटाला और हरपाल सिंह चीमा ने भी दौरा किया। 31 सदस्यीय कमेटी, जो न्याय की मांग कर रही थी, ने सेक्टर-17 से पैदल मार्च रद्द कर दिया और चंडीगढ़ प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि सीएम ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

चंडीगढ़ पुलिस ने छह सदस्यीय एसआईटी गठित की है। परिवार ने जांच में पूरा सहयोग देने का वादा किया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मीडिया से गोपनीयता बनाए रखने की अपील की गई है। यह घटना हरियाणा पुलिस में गहरे असंतोष और सिस्टमिक मुद्दों को उजागर करती है, जिसकी जांच जारी है।

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