घटना का पृष्ठभूमि
52 वर्षीय आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जो 2001 बैच के थे और दलित समुदाय से थे, ने 7 अक्टूबर 2025 को चंडीगढ़ के सेक्टर 24 स्थित अपने सरकारी आवास में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पास से मिले 9 पेज के सुसाइड नोट में 12 अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव, अपमान और उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे, जिनमें पूर्व डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया शामिल हैं। नोट में उन्होंने इन अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना और प्रशासनिक पूर्वाग्रह का आरोप लगाया।
सरकार और पुलिस की कार्रवाई
परिवार की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, जिसमें बीएनएस की धाराएं 108, 3(5) और एससी/एसटी एक्ट की धाराएं शामिल हैं। हरियाणा सरकार ने दबाव में डीजीपी कपूर को छुट्टी पर भेज दिया और बिजारनिया को पद से हटा दिया। आईपीएस ओम प्रकाश सिंह को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। एक छह सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) जांच कर रही है।
पोस्टमार्टम की प्रक्रिया
पोस्टमार्टम पीजीआईएमईआर में डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा किया जा रहा है, जिसमें बैलिस्टिक विशेषज्ञ मौजूद हैं और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी हो रही है। परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में मजिस्ट्रेट की निगरानी में यह हो रहा है। अमनीत कुमार ने बयान में कहा, “समय पर पोस्टमार्टम की सबूत महत्वता को देखते हुए और न्याय के बड़े हित में, मैंने अनुमति दी है। मुझे न्यायपालिका और पुलिस पर पूरा विश्वास है।”
अन्य मोड़
मामले में एक और ट्विस्ट आया जब रोहतक के एएसआई संदीप ने आत्महत्या कर ली और पूरन कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। परिवार ने लैपटॉप पुलिस को सौंपा नहीं है, जिसमें सुसाइड नोट टाइप किया गया था।
सामाजिक प्रतिक्रिया
वाई. पूरन कुमार न्याय मंच के 31 सदस्यों ने परिवार के फैसले का सम्मान किया लेकिन न्याय की लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया। सोशल मीडिया पर इस मामले की चर्चा जारी है, जहां कई ने जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाए।
यह मामला जातिगत भेदभाव और पुलिस में उत्पीड़न के मुद्दों को उजागर करता है, और जांच के नतीजे पर सबकी नजरें टिकी हैं।

