घटना का विवरण
केशव कुंज, जो RSS का दिल्ली मुख्यालय है, हाल ही में 150 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्निर्मित हुआ है। यह 3.75 एकड़ में फैला परिसर तीन 13 मंजिला टावरों (साधना, प्रेरणा और अर्चना) और 300 से अधिक कमरों वाला आधुनिक कॉम्प्लेक्स है, जिसमें प्राचीन वास्तुकला और आधुनिक तकनीक का मिश्रण है। इस परिसर के निकटवर्ती इलाके में बने हनुमान मंदिर को शुक्रवार सुबह MCD और पुलिस की संयुक्त टीम ने तोड़ दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बुलडोजर से कार्रवाई के दौरान कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया, न ही स्थानीय लोगों को वैकल्पिक स्थल की जानकारी दी गई।
स्थानीय निवासी रामेश्वर दास ने बताया, “यह मंदिर दशकों पुराना है। लोग यहां रोज पूजा करते थे। RSS कार्यालय के पास होने से इसे सुरक्षा का प्रतीक माना जाता था। बिना बताए तोड़ना धोखा है।” घटना के बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, नारेबाजी की और MCD कार्यालय का घेराव किया। हिंदू संगठनों जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने इसे “सनातनी भावनाओं पर हमला” करार देते हुए राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी।
पुलिस और प्रशासन का पक्ष
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया कि कार्रवाई उच्च न्यायालय के आदेश पर की गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह अवैध अतिक्रमण हटाने का हिस्सा था। भूमि RSS परिसर की सीमा पर सरकारी थी, और मंदिर का निर्माण बिना अनुमति के हुआ था। नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर संचार की कमी हो सकती है। कोई धार्मिक भावना आहत करने का इरादा नहीं था।” MCD ने भी बयान जारी कर कहा कि यह “धार्मिक समिति” की सिफारिश पर आधारित था, जो नवंबर 2024 में गठित हुई थी।
हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक साजिश बताया। AAP नेता और दिल्ली की पूर्व मंत्री अतिशी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, “मंदिर तोड़ना LG के आदेशों का नतीजा है। इससे पहले भी भजनपुरा में ऐसा हुआ था। धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए चुनी हुई सरकार को शामिल करें।” LG कार्यालय ने इसका खंडन करते हुए कहा, “यह सस्ती राजनीति है। पिछले साल AAP सरकार ने ही 9 मंदिरों की तोड़फोड़ मंजूर की थी।”
व्यापक संदर्भ
यह घटना दिल्ली में धार्मिक स्थलों की तोड़फोड़ को लेकर चल रहे विवादों की कड़ी है। 2023 में भजनपुरा में एक मंदिर और मजार को फ्लाईओवर निर्माण के लिए हटाया गया था, जिस पर AAP ने LG को जिम्मेदार ठहराया था। दिसंबर 2024 में अतिशी ने LG विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर 6 धार्मिक संरचनाओं (जिनमें हिंदू मंदिर और बौद्ध स्थल शामिल) की प्रस्तावित तोड़फोड़ रोकने की मांग की थी। LG कार्यालय ने इसे “झूठा प्रचार” बताया और कहा कि कोई तोड़फोड़ की योजना नहीं है।
2021 में भी RSS से जुड़े एक संपादक ने दिल्ली के नूर नगर में मंदिर तोड़फोड़ की फर्जी खबर फैलाई थी, जिसे पुलिस ने खारिज किया था। वर्तमान घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जहां #SaveDelhiTemples और #RSSMandirVivaad जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। X (पूर्व ट्विटर) पर यूजर्स ने इसे “इस्लामीकरण” से जोड़ते हुए अन्य अवैध मस्जिदों की तोड़फोड़ की मांग की है, हालांकि यह दावा बिना सबूत के है।
आगे की संभावनाएं
प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को RSS मुख्यालय के बाहर धरना देने का ऐलान किया है। VHP ने कहा कि यदि मंदिर का पुनर्निर्माण न हुआ तो कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। पुलिस ने इलाके में भारी फोर्स तैनात कर दी है। यह विवाद दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक तापमान बढ़ा सकता है, जहां धार्मिक मुद्दे अक्सर वोट बैंक बन जाते हैं।
स्रोतों के अनुसार, दिल्ली सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। यह घटना एक बार फिर सवाल उठाती है कि विकास और धार्मिक संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बने।

