ढाका। बांग्लादेश में एक फिर से हिंसा भड़क उठी है। जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता और इंकिलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ ओसमान हादी की मौत के बाद देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और हिंसा हो रही है। इतना ही नही मीडिया हाउसों पर भ पब्लिक टूट पड़ी है। हादी की मौत सिंगापुर के एक अस्पताल में गुरुवार (18 दिसंबर) रात को हुई। जहां वे 12 दिसंबर को ढाका में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल होने के बाद इलाज करा रहे थे। उनकी मौत की खबर फैलते ही ढाका के शाहबाग चैराहे पर हजारों लोग जमा हो गए और “हादी, हादी” के नारे लगाते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया।
हादी कौन थे?
32 वर्षीय शरीफ ओसमान हादी 2024 के जुलाई-अगस्त विद्रोह के प्रमुख योद्धाओं में से एक थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था। वे इंकिलाब मंच के प्रवक्ता और ढाका-8 सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार थे। हादी भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते थे और अवामी लीग को भंग करने तथा उसके नेताओं को गिरफ्तार करने की मुहिम में सक्रिय थे। अंतरिम सरकार ने मई 2025 में अवामी लीग को भंग कर दिया था। विभिन्न स्रोतों के अनुसार, हादी को “क्रांतिकारी” और “जुलाई योद्धा” माना जाता था।
हमले और मौत की घटना
12 दिसंबर को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान मोटरसाइकिल सवार तीन अज्ञात हमलावरों ने हादी पर गोली चलाई। वे गंभीर रूप से घायल हो गए और पहले ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराए गए, फिर 15 दिसंबर को बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि डॉक्टरों के प्रयासों के बावजूद वे अपनी चोटों से उबर नहीं सके।
हिंसा और प्रदर्शन
हादी की मौत की खबर के बाद ढाका में हिंसा भड़क गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख अखबारों प्रथम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में आग लगा दी और तोड़फोड़ की। इन अखबारों पर भारत समर्थक होने का आरोप लगाया जा रहा है। शेख मुजीबुर रहमान के पूर्व निवास धनमंडी 32 और कुछ अवामी लीग दफ्तरों पर भी हमले हुए। चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग पर पत्थर फेंके गए। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने शांति की अपील की और 20 दिसंबर को राष्ट्रीय शोक दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हादी की मौत “क्रांतिकारियों को डराने की साजिश” है और दोषियों को जल्द सजा मिलेगी।
भारत पर लगए गंभीर आरोप
बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने भारत पर हादी के हत्यारों को शरण देने का आरोप लगाया। कुछ नेताओं ने भारतीय उच्चायोग बंद करने की मांग की। पहले भी बांग्लादेश ने भारतीय दूत को तलब कर हमलावरों के भारत भागने की आशंका जताई जा रही थी। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि वह बांग्लादेश में शांतिपूर्ण चुनाव चाहता है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्रोतों के अनुसार, हादी की मौत ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है, जहां शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं।
श्राजनीतिक दलों की आयी प्रतिक्रियाएं
बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी सहित कई दलों ने हादी की मौत पर शोक जताया और न्याय की मांग की। यूनुस सरकार ने हादी के परिवार की जिम्मेदारी लेने का वादा किया है। फरवरी 2026 के चुनाव से पहले यह घटना राजनीतिक अस्थिरता बढ़ा सकती है।
यह घटना बांग्लादेश की नाजुक राजनीतिक स्थिति को एक बार फिर से दो राहें पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां 2024 के विद्रोह के बाद अभी भी तनाव बरकरार है।
यह भी पढ़ें: संसद में केन्द्र सरकार का दावा, AQI का लग्स बीमारी से कोई कनेक्शन नही

