Gyanvapi Case : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की अर्जी खारिज कर दी है और याचिकाओं की सुनवाई की तिथि चार अक्तूबर नियत की है। यह आदेश चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल पांच याचिकाओं पर याची की तरफ से दाखिल अर्जी पर दिया है।
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मसाजिद कमेटी ने 18 सितंबर, 23 को अर्जी देकर मांग की थी कि कोर्ट उस अधिवक्ता का नाम बताए जिसकी शिकायत पर केस फैसला आने से पहले दूसरी पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर लिया गया और जब तक अर्जी तय नहीं होती, तब तक केस की सुनवाई न की जाए।
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मालूम हो कि वाराणसी अदालत में ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर दाखिल सिविल वाद की पोषणीयता पर याची की आपत्ति को दरकिनार कर अदालत ने परिसर के सर्वे का 2021मे आदेश दिया था,जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई । न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सर्वे पर रोक लगा दी और 75तिथि तक लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित किया था। इससे पहले भी फैसला सुरक्षित होने के बाद टल गया था।28 अगस्त को फैसला आना था। उससे पहले ही किसी ने 27 जुलाई को शिकायत की। जिसपर मुख्य न्यायाधीश ने प्रशासनिक आदेश दिया और 16 अगस्त को केस अपने पास स्थानांतरित कर 28 अगस्त को सुनवाई की।अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने मुख्य न्यायाधीश द्वारा केस सुने जाने पर कोई ऐतराज नहीं किया किंतु फैसले से पहले केस स्थानांतरित करने पर कानूनी प्रश्न खड़े किए।
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28 अगस्त के आदेश में याची अधिवक्ता की शिकायत पर केस स्थानांतरित करने का जिक्र आया तो अर्जी दाखिल कर उसकी पहचान जाहिर करने की मांग की।याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी का कहना था कि याची के किसी अधिवक्ता ने अर्जी नही दी है।तो वह कौन है जिसकी शिकायत पर केस स्थानांतरित किया गया।
कोर्ट ने कहा शिकायत पत्रावली पर है,कोई भी देख सकता है। इसके लिए अर्जी दाखिल कर न्यायिक आदेश की मांग उचित नहीं है।और अर्जी खारिज कर दी ।तथा सभी याचिकाओं को सुनवाई हेतु 4अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया है।
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75 तारीखों बाद सुनाया गया था फैसला
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सर्वे पर रोक लगा दी और 75 तारीखों में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित किया था। न्यायमूर्ति पाडिया ने 28 अगस्त की तिथि फैसले के लिए तय की थी। उससे पहले ही किसी ने 27 जुलाई, 2023 को शिकायत की। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने प्रशासनिक आदेश दिया और 16 अगस्त को केस अपने पास स्थानांतरित कर 28 अगस्त को सुनवाई की।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने मुख्य न्यायाधीश द्वारा केस सुने जाने पर कोई आपत्ति नहीं की किंतु फैसले से पहले केस स्थानांतरित करने पर कानूनी प्रश्न खड़े किए। 28 अगस्त के आदेश में याची अधिवक्ता की शिकायत पर केस स्थानांतरित करने का जिक्र आया तो अर्जी दाखिल कर उसकी पहचान जाहिर करने की मांग की गई।
मस्जिद पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी का कहना था कि याची के पक्ष से किसी अधिवक्ता ने अर्जी नहीं दी है, तो वह कौन है जिसकी शिकायत पर केस स्थानांतरित किया गया? इस पर कोर्ट ने कहा, शिकायत पत्रावली पर है, कोई भी देख सकता है। इसके लिए अर्जी दाखिल कर न्यायिक आदेश की मांग उचित नहीं है।
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