ज्ञानेश कुमार और राहुल गांधी के बीच तनातनी बढ़ी, BJP और मोदी के लिए बढ़ती चिंता, पढ़िये पूरी खबर

Gyanesh Kumar vs Rahul Gandhi News: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार और कांग्रेस नेता व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच चल रही तीखी तनातनी ने देश की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी के “वोट चोरी” के आरोपों और ज्ञानेश कुमार की ओर से दी गई कड़ी प्रतिक्रिया ने न केवल चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी चिंता का कारण बन गया है।

विवाद की शुरुआत
राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार में ‘वोट अधिकार यात्रा’ के दौरान चुनाव आयोग और BJP पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनावी प्रक्रिया में धांधली के जरिए नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को छीना जा रहा है। राहुल ने कहा, “जब आपने सीसीटीवी कानून बनाया, तो उसे क्यों बदला? यह कानून मोदी और अमित शाह ने बनाया ताकि वोट चुराए जा सकें।”

इसके जवाब में, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल के आरोपों को “निराधार” और “गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया। उन्होंने राहुल को सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने या सार्वजनिक माफी मांगने की चेतावनी दी। ज्ञानेश ने कहा कि “वोट चोरी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल न केवल मतदाताओं और चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर हमला है, बल्कि यह लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करता है।

राहुल की धमकी और विपक्ष का आक्रामक रुख
राहुल गांधी ने इस चेतावनी का जवाब और भी तीखे अंदाज में दिया। बिहार की एक रैली में उन्होंने कहा, “तीनों चुनाव आयुक्त सुन लें, अभी नरेंद्र मोदी की सरकार है, लेकिन एक दिन ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार होगी, तब हम आप तीनों को देखेंगे। आपके खिलाफ कार्रवाई होगी।” इस बयान ने न केवल विवाद को और हवा दी, बल्कि सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा दिया। कुछ यूजर्स ने दावा किया कि विपक्ष अब ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रहा है, जिससे चुनाव आयोग में घबराहट का माहौल है।

BJP और मोदी के लिए चिंता क्यों?
यह विवाद BJP और मोदी सरकार के लिए कई कारणों से चिंताजनक है:

1. चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल: राहुल गांधी के आरोपों और ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी है। खास तौर पर, यह आरोप कि ज्ञानेश को मोदी-शाह की कमेटी ने चुना, BJP के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। यदि जनता के बीच यह धारणा बनती है कि चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम कर रहा है, तो यह BJP की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

2. विपक्ष की एकजुटता: राहुल गांधी का आक्रामक रुख और ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से मिल रहा समर्थन विपक्ष को एकजुट करने में मदद कर रहा है। सोनिया गांधी द्वारा मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व सौंपने के संकेत और राहुल के बयानों ने विपक्ष को नया जोश दिया है। यह BJP के लिए विधानसभा चुनावों के बाद और आगामी चुनावों में चुनौती पेश कर सकता है।

3. सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर ज्ञानेश कुमार के परिवार को निशाना बनाए जाने की घटनाओं ने विवाद को और गहरा दिया है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार कंचन गुप्ता ने इसे “बेशर्म और बाजारू हमला” करार दिया, लेकिन इससे कांग्रेस को यह कहने का मौका मिला कि BJP इस मुद्दे को व्यक्तिगत बना रही है। यदि यह विवाद और बढ़ता है, तो जनता के बीच BJP की छवि को और नुकसान हो सकता है।

4. महाभियोग की आशंका: कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया है कि विपक्ष ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल चुनाव आयोग बल्कि BJP के लिए भी बड़ा संकट बन सकता है, क्योंकि यह मामला संसद में गरमाएगा और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक और मौका देगा।

BJP का पलटवार
BJP ने इस मुद्दे पर पलटवार करते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा है। पार्टी का कहना है कि राहुल के बयान “संविधान और लोकतांत्रिक संस्थानों का अपमान” हैं। BJP नेताओं ने यह भी दावा किया कि राहुल का यह रुख केवल राजनीतिक लाभ के लिए है और इससे देश की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।

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