Greater Noida: अब खुशियों का माहौल आ चुका है। ऐसे में हर कोई अपने तरीके से मनाना चहाता है। दीपावाली पर जमकर पटाखें जलाएं जाते थे लेकिन अब केवल ग्रीन पटाखे (Green Crackers) जलाने की अनुमति है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पटाखों की ब्रिकी होती है लेकिन कहा जाता है कि ये ग्रीन है। मगर हकीकत कुछ और ही है। अपाको बता दें कि दादरी में भारी मात्रा में पटाखे बनाएं जाते है लेकिन पिछले 5 साल से एक भी आतिशबाजी का लाइसेंस नहीं है। बिना लाइसेंस के ही अवैध रूप से बिक्री और स्टॉक किया जाता रहा है। यहां ग्रीन के नाम पर बारूद के पटाखों की जमकर बिक रहे है।
एनजीटी के आदेशों का दादरी में कई साल से उल्लंघन होता चला आ रहा है और जिम्मेदार सरकारी अफसर और कर्मी आंखें मूंदे बैठे रहते हैं। जब भी इस तरह की शिकायत होती है तो पुलिस बारूद माफिया को गिरफ्तार कर लेती है। लेकिन उन पर गैंगस्टर या गुंडाएक्ट जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
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ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण दादरी में अवैध पटाखों का व्यापार बढ रहा है। इनमें अवैध पटाखे बेचने के लिए कपड़ा और परचून की दुकानों को भी नामित कर रखा है और लोग वहीं से जाकर प्रतिबंधित पटाखे खरीदते हैं। एक दशक से अवैध बारूद के कारोबार में लिप्त आठ से दस लोग ऐसे हैं जो हर साल पटाखों की बड़ी खेप के साथ पकड़े जाते हैं। दिवाली से पहले हर साल पुलिस आतिशबाजी के थोक व्यापारियों से बरामद करके उनके कर्मचारियों को जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी पूरा कर देती है। व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। इसके कारण दादरी में चार से पांच व्यापारी हर साल दिवाली पर बिना लाइसेंस के अवैध आतिशबाजी बेचते हैं।
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बड़ी बात यह है कि ये सभी गोदाम घनी आबादी में बनाए जाते हैं। यदि विस्फोट हो जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि एनजीटी के सख्त निर्देश हैं कि बारूद से बने पटाखों को नहीं बेचना है, लेकिन ग्रीन पटाखों के नाम पर असली बारूद के पटाखे बेचे जाते हैं। व्यापारी अधिकारी-कर्मचारियों से साठगांठ कर घनी आबादी के इलाके में घनश्याम रोड पर दुकान पर पटाखों के फोटो दिखाकर बेचते रहे हैं। इस बार भी दादरी पुलिस ने व्यापारी प्रदीप के गोदाम से भारी मात्रा में अवैध आतिशबाजी बरामद की है। उनके नौकर को गिरफ्तार किया है।