Greater Noida West News: ग्रेटर नोएडा वेस्ट (जिसे नोएडा एक्सटेंशन भी कहा जाता है) के लाखों निवासियों को सार्वजनिक परिवहन, खासकर मेट्रो की सुविधा न मिलने के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानी हो रही है। यह समस्या इतनी गहरी है कि निजी वाहन चालक (ऑटो, ई-रिक्शा, कैब आदि) इसका फायदा उठा रहे हैं और निवासियों को “लूट” रहे हैं। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं, जिसमें डॉ. महेश शर्मा (गौतम बुद्ध नगर के सांसद) की नाकाम भूमिका भी शामिल है।
1. मेट्रो सुविधा की वर्तमान स्थिति: वादे पूरे क्यों नहीं हुए?
• परियोजना का इतिहास: नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो का विस्तार (नोएडा सेक्टर 51 से ग्रेटर नोएडा वेस्ट तक) 2017 में ही स्वीकृत हो गया था। यह 17.4 किमी लंबी लाइन है, जिसमें 13 स्टेशन होंगे। अनुमानित लागत ₹5,500 करोड़ है, और यह 2023 तक शुरू होने वाली थी। लेकिन वित्तीय मॉडल (PPP – पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) में देरी के कारण काम रुका हुआ है। केंद्र सरकार ने फंडिंग क्लियर कर दी है, लेकिन नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (NMRC) और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (GNIDA) के बीच समन्वय की कमी बाधा बनी हुई है।
• डॉ. महेश शर्मा की नाकाम भूमिका: सांसद के रूप में उन्होंने कई बार संसद में मुद्दा उठाया है। उदाहरण:
• अप्रैल 2025 में लोकसभा में उन्होंने ग्रेटर नोएडा वेस्ट मेट्रो को “आवश्यक” बताते हुए 8 साल की देरी का जिक्र किया और शहरी विकास मंत्रालय से तत्काल मंजूरी की मांग की। साथ ही, जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन से जुड़ी कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया।
• मई 2025 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात कर मेट्रो कॉरिडोर पर चर्चा की।
• फरवरी 2024 में उन्होंने सेक्टर 51-61 और 122 के नए रूट पर मेट्रो चलाने की सराहना की, लेकिन यह आंशिक विस्तार था – वेस्ट तक नहीं पहुंचा।
• नाकामी का पहलू: बावजूद इन प्रयासों के, मेट्रो अभी भी कागजों पर ही है। निवासी संगठनों (जैसे NEFOWA) का आरोप है कि सांसद और विधायक (जैसे तेजपाल नागर) चुनावी वादों (2019 और 2024 में मेट्रो का वादा) को भूल गए हैं। 2024 चुनाव में डॉ. शर्मा को 5.6 लाख वोटों से जीत मिली, लेकिन विकास कार्य ठप हैं। पुरानी शिकायतें (जैसे 2019 में सड़कों पर विरोध) आज भी जारी हैं।
2. निजी वाहनों की “लूट”: कैसे हो रहा शोषण?
• ट्रैफिक जाम की मार: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 3-4 लाख निवासी हैं, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट न होने से सभी निजी वाहनों पर निर्भर हैं। रोजाना सुबह-शाम पृथला, चारमूर्ति, बीटा-2 गोल चक्कर पर 2-3 घंटे का जाम लगता है। बारिश में तो हालत बदतर – सड़कें टूटी-फूटी, धूल-मिट्टी उड़ती रहती है।
• शोषण के तरीके:
• शेयरिंग ऑटो/रिक्शा: नोएडा सेक्टर 52 से वेस्ट तक नॉर्मल किराया ₹30-40, लेकिन जाम में ₹100-200 वसूल लिया जाता है। विरोध करो तो “ड्रॉप” कर देते हैं, और पैदल 10 किमी चलना पड़ता है।
• कैब/बाइक टैक्सी: उबर/रैपिडो पर भी सरचार्ज बढ़ जाता है। कोई रेगुलेटेड फेयर नहीं।
• प्रभाव: महिलाएं, स्टूडेंट्स (8 लाख छात्र प्रभावित), दैनिक यात्री सबसे ज्यादा परेशान। प्रदूषण बढ़ा, ईंधन खर्च दोगुना, समय बर्बाद।
• सिटी बस की कमी: GNIDA ने 2024 में कुछ बसें चलाईं, लेकिन अपर्याप्त। मेट्रो न सही, कम से कम CNG बसें तो चलें, लेकिन ट्रैफिक पुलिस और अथॉरिटी की लापरवाही से जाम बढ़ता जा रहा है।
3. क्या समाधान संभव है?
• तत्काल कदम: केंद्र (शहरी विकास मंत्रालय) ने 2025 में फंडिंग बढ़ाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जेवर एयरपोर्ट से लिंक पर जोर दिया है। अगर NMRC और GNIDA मिलकर काम करें, तो 2026 तक मेट्रो शुरू हो सकती है।
• आवाज उठाएं: निवासी संगठन (जैसे @GreaterNoidaW, @nefowaoffice) सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। डॉ. शर्मा (@dr_maheshsharma) और विधायक @tejpalnagarMLA को टैग कर दबाव बनाएं। GNIDA (@OfficialGNIDA) से सिटी बस व अंडरपास की मांग करें।
• दीर्घकालिक: इलेक्ट्रिक बसें, साइकिल ट्रैक, और मेट्रो पार्किंग सुविधा जरूरी।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट NCR का “शो विंडो” है, लेकिन बिना मेट्रो के यह सिर्फ जाम का केंद्र बनेगा। डॉ. शर्मा ने आवाज तो उठाई, लेकिन अब अमल की जरूरत है। अगर आपके पास कोई व्यक्तिगत अनुभव या अतिरिक्त डिटेल है, तो बताएं – मैं और जानकारी जुटा सकता हूं। आपकी आवाज मजबूत हो, ताकि मेट्रो जल्द आए

