हिंडन डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण पर, चला प्राधिकरण का बुलडोजर, 25,000 वर्ग मीटर जमीन हुई, कब्जा मुक्त

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा के बिसरख क्षेत्र में हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बड़ी कार्रवाई की है। प्राधिकरण ने बुलडोजर चलाकर लगभग 25,000 वर्ग मीटर जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया। इस कार्रवाई के दौरान खसरा नंबर 104, 105, और 121 पर बनी अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया गया। यह कार्रवाई प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक एनके जैन और प्रबंधक चेतराम की अगुवाई में स्थानीय पुलिस के सहयोग से की गई, जिसमें 5 बुलडोजरों का उपयोग हुआ।

हालांकि, इस कार्रवाई ने डूब क्षेत्र में बसी जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर इन कॉलोनियों में प्लॉट खरीदे और अपने आशियाने बनाए, लेकिन प्राधिकरण ने उस समय कोई आपत्ति नहीं जताई जब कॉलोनाइजर इन अवैध कॉलोनियों को काट रहे थे। निवासियों का सवाल है कि जब कॉलोनियां बस रही थीं, तब प्राधिकरण क्यों नहीं जागा? अब उनके घरों को तोड़ा जा रहा है, जबकि बड़े कॉलोनाइजर माफिया मालामाल हो चुके हैं।

हिंडन डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण का जाल
हिंडन और यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण और कॉलोनियों का निर्माण लंबे समय से जारी है। बिसरख, कुलेसरा, लखनावली, शाहबेरी, और अन्य गांवों में बिना नक्शा पास कराए और बिना प्राधिकरण की अनुमति के भवन बनाए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में कॉलोनाइजरों ने सस्ते प्लॉट्स का लालच देकर आम लोगों को फंसाया, जिनमें से कई ने अपनी मेहनत की कमाई इन अवैध कॉलोनियों में निवेश की। 2018 में शाहबेरी में दो इमारतों के गिरने की घटना, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी, ने अवैध निर्माण की गंभीरता को उजागर किया था, लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य रुका नहीं।

प्राधिकरण की कार्रवाई, लेकिन कॉलोनाइजर पर सवाल
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने हाल के वर्षों में कई बार अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की है। हाल ही में तालड़ा गांव में 50,000 वर्ग मीटर जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा, पतवाड़ी गांव के पास ग्रीन बेल्ट में बनी अवैध दुकानों को भी ध्वस्त किया गया। प्राधिकरण के अधिकारियों, ने चेतावनी दी है कि अधिसूचित क्षेत्रों में बिना अनुमति निर्माण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।

निवासियों और सोशल मीडिया पर उठ रही आवाजों में सवाल उठ रहा है कि प्राधिकरण की कार्रवाई सिर्फ छोटे निर्माणों या गरीब निवासियों पर ही क्यों हो रही है? बड़े कॉलोनाइजर माफिया, जो इन अवैध कॉलोनियों को काटकर मोटी कमाई कर रहे हैं, उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही?

एक एक्स पोस्ट में यूजर ने लिखा, “गाजियाबाद से दनकौर तक हिंडन के किनारे अवैध भू-माफियाओं ने लाखों लोगों को बसा दिया, लेकिन प्रशासन को कुछ दिखाई नहीं देता। डूब क्षेत्र कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।”

रजिस्ट्री पर रोक क्यों नहीं?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि डूब क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही? ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने स्टांप और निबंधन विभाग को पत्र लिखकर सिफारिश की थी कि खसरा-खतौनी में दर्ज भूमि उपयोग के अनुसार ही रजिस्ट्री की जाए, ताकि कृषि भूमि को आवासीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल न किया जाए। इसके बावजूद, 2024 में हाईकोर्ट ने डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री पर लगी रोक को हटा दिया, जिसके बाद रजिस्ट्री की संख्या तीन गुना बढ़ गई। इससे कॉलोनाइजरों को और बढ़ावा मिला, और लोग बिना प्राधिकरण की अनुमति के प्लॉट खरीद रहे हैं, जिससे भविष्य में बड़े हादसों का खतरा बना हुआ है।

प्रशासन और भू-माफियाओं की मिलीभगत?
कई निवासियों और जानकारों का आरोप है कि भू-माफिया और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत के कारण डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण रुक नहीं रहे। भू-माफिया डूब क्षेत्र की जमीन को दूसरे स्थान की जमीन दिखाकर रजिस्ट्री करा देते हैं, और लोग भरोसा करके इन कॉलोनियों में निवेश कर देते हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बैंकों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि अवैध कॉलोनियों में लोन न दिया जाए, जब तक कि प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शा और अनापत्ति प्रमाणपत्र प्रस्तुत न हो। इसके बावजूद, अवैध निर्माण और कॉलोनियों का विस्तार जारी है।

आम जनता की मांग और भविष्य
हिंडन डूब क्षेत्र में बसी जनता अब प्रशासन और प्राधिकरण से जवाब मांग रही है। उनका कहना है कि यदि कॉलोनियां अवैध थीं, तो शुरुआत में इन्हें बसने क्यों दिया गया? अब जब लोग अपने जीवन भर की कमाई लगाकर घर बना चुके हैं, तो प्राधिकरण की कार्रवाई से उनका सब कुछ बर्बाद हो रहा है। दूसरी ओर, प्राधिकरण का कहना है कि डूब क्षेत्र में निर्माण न केवल गैरकानूनी है, बल्कि बाढ़ के खतरे को भी बढ़ाता है।
प्रशासन और प्राधिकरण को अब एक ठोस नीति बनानी होगी, जिसमें न केवल अवैध निर्माण रोके जाएं, बल्कि भू-माफियाओं और कॉलोनाइजरों पर भी कड़ी कार्रवाई हो। साथ ही, आम जनता को जागरूक करने और रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और सख्त करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में कोई और इस जाल में न फंसे।

निष्कर्ष
ग्रेटर नोएडा के हिंडन डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण और कॉलोनियों का मुद्दा एक जटिल समस्या बन चुका है। प्राधिकरण की कार्रवाइयां भले ही नियमों के तहत हों, लेकिन आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब समय है कि सरकार, प्रशासन, और प्राधिकरण मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें, ताकि न तो जनता की मेहनत की कमाई बर्बाद हो और न ही भू-माफियाओं को अवैध कमाई का मौका मिले।

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