पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत 9 नवंबर को माता अहिल्या धाम, अहिरौली से हुई थी, जहां मान्यता है कि भगवान राम ने ताड़का वध के बाद स्नान किया था। यह पांच दिवसीय यात्रा सिद्धाश्रम, राम रेखा घाट, किला मैदान और अन्य पवित्र स्थलों को समेटे हुए है। स्थानीय परंपरा के अनुसार, प्रभु राम ने इन पांच स्थानों पर विभिन्न प्रकार के पकवान ग्रहण किए थे, जिनमें लिट्टी-चोखा प्रमुख है। आज, 13 नवंबर को यात्रा का समापन राम रेखा घाट पर गंगा स्नान और किला मैदान में विशाल लिट्टी भांटा (चोखा प्रसाद वितरण) के साथ होगा। भोजपुरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बीआरडीए) और स्थानीय समितियों ने बताया कि इस बार महाप्रसाद के लिए हजारों क्विंटल आटा, चना दाल और सब्जियां जुटाई गई हैं, जिसे स्वयंसेवकों द्वारा तैयार किया जा रहा है।
राम रेखा घाट, जो बक्सर का प्रमुख धार्मिक स्थल है, को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। जिला प्रशासन और नगर परिषद की टीमों ने घाट की सफाई, लाइटिंग और पेंटिंग का कार्य तेजी से पूरा किया है। यहां विवाह मंडप में छठ पूजा की झलक के साथ ताड़का वध, महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ और बक्सर गंगा आरती की भित्तिचित्र बनाए गए हैं, जो भक्तों को रामायण की कथा से जोड़ते हैं। घाट पर अस्थायी परिवहन व्यवस्था, चिकित्सा इकाई, शौचालय ब्लॉक और पार्किंग की सुविधा सुनिश्चित की गई है। एसपी शुभम आर्य ने बताया कि सुरक्षा के लिए ड्रोन निगरानी, सीसीटीवी और पुलिस फोर्स तैनात की गई है, ताकि भीड़ प्रबंधन सुचारू रहे। रोहतास और कैमूर जिले से भी हजारों भक्त पहुंच रहे हैं, जिससे घाट पर उत्साह का दौर चल रहा है।
वहीं, किला मैदान में लिट्टी भांटा का आयोजन भव्य स्तर पर हो रहा है। यह मैदान, जो ऐतिहासिक रूप से राम महोत्सव और रावण वध जैसे कार्यक्रमों का केंद्र रहा है, अब प्रसाद वितरण का प्रमुख स्थल बनेगा। आयोजकों के अनुसार, 13 नवंबर को दोपहर से शुरू होकर रात तक चलेगा यह भंडारा, जिसमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।
स्थानीय समिति के संयोजक उमेश पांडेय ने कहा, “यह न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि बक्सर की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का माध्यम भी। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी लाखों लोगों को लिट्टी-चोखा का प्रसाद मिलेगा।” मैदान पर अखंड भजन-कीर्तन, रामलीला और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जो शाम तक जारी रहेंगे।
यह परिक्रमा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देती है। बक्सर के इतिहासकारों के अनुसार, राम रेखा घाट वह स्थान है जहां राम ने गंगा स्नान कर अहल्या का उद्धार किया था। जिला मजिस्ट्रेट अंशुल अग्रवाल ने अपील की कि भक्त मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, ताकि आयोजन शांतिपूर्ण रहे।
पंचकोशी लिट्टी भांटा के माध्यम से बक्सर एक बार फिर राम भक्ति का वैश्विक केंद्र बनेगा। श्रद्धालु जय सियाराम के उद्घोष के साथ इस पर्व को यादगार बनाने को बेताब हैं। जय श्री राम!

