Ghaziabad news राजनगर स्थित आईएमए भवन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) यूपी स्टेट के सचिव डॉ विश्व बंधु ने आईएमए गाजियाबाद चेप्टर की अध्यक्ष डॉ वाणी पुरी,डॉ राजीव गोयल(ईएनटी), डॉ नवनीत कुमार और डॉ राजीव गोयल (सर्जन)की अध्यक्षता ेमें प्रेस वार्ता का आयोजन किया।
आईएमए यूपी स्टेट के सचिव डॉ विश्व बंधु ने आज के समय में डॉक्टरों की जरूरत को देखते हुए अपनी 12 सूत्रीय मांग सरकार से की है।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान सभी प्रत्याशियों को भी अपनी मांगों से अवगत कराया जाएगा। उन्होंने पत्रकार वार्ता में अपनी 12 सूत्रीय डिमांड सरकार के सामने रखी।
आईएमए की 12 डिमांड में 50 बिस्तरों तक के छोटे और मध्यम अस्पतालों व क्लीनिकों की उत्तर प्रदेश में हर साल नवीकरण से सरकारी संसाधनों एवं जन संसाधनों की बर्बार्दी होती है। इसलिए इनका उत्तर प्रदेश में सीएमओ रजिस्ट्रेशन का नवीकरण प्रत्येक वर्ष के बजाय पांच साल में हो एवं नवीकरण प्रकिया का सरलीकरण हो।
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राज्य अस्पताल संरक्षण कानूनों ने डॉक्टरों को हिंसा के खिलाफ कोई ढांढ़स नहीं दिया है। महामारी रोग अधिनियम 1897 के संशोधनों को शामिल करने वाला निवारक केंद्रीय कानून डॉक्टरों और अस्पतालों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को शामिल करना सही दिशा में पहला कदम है। आईएमए ने डॉक्टरों पर हिंसा के खिलाफ एक मजबूत केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है। सरकार अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करें। किसी भी उपचार प्रक्रिया में किसी भी डॉक्टर का कोई आपराधिक इरादा नहीं होता है। डॉक्टरों पर आपराधिक मुकदमा आत्म-पराजित स्थिति है। रक्षात्मक मेडिकल प्रैक्टिस रोगी की देखभाल और लागत को प्रभावित करती है। चिकित्सा पेशे को चिकित्सा लापरवाही में आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट दी जाए।
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मरीज को उपभोक्ता और डॉक्टर को प्रदाता का नाम देने से उसका अस्तित्व छीन लिया गया है। अगर जरूरत पड़े तो डॉक्टर-रोगी रिश्ते में पवित्रता और सिविल कानून मुकदमों को संभाल सकते हैं। डॉक्टरों को सीपीए से छूट मिले। अन्यथा सरकार से निवेदन है किसी भी स्थिति में मुआवजे की सीमा तय करने और इसके क्षेत्राधिकार सीमित करने हेतु मौजूदा कानून में संशोधन करें।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शुद्धता बनाए रखें। चिकित्सा की प्रत्येक प्रणाली की अपनी प्रोफाइल और इतिहास होत है। एकीकृत चिकित्सा रोगी की देखभाल और सुरक्षा के लिए खतरा है। यह लोगों के स्वास्थ्य के साथ एक खिलवाड़ होगा। एक कैफेटेरिया दृष्टिकोण जिसमें मरीजों को विभिन्न पद्धतियां चुनने का अधिकार है एकमात्र स्वीकार्य समाधान है। आईएमए की मांग है कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को ग्रोथ के लिए खुला छोड़ना चिकित्सा प्रणालियों के सर्वोत्तम्म हित में है। एवं चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों को एकीकृत करने के प्रयासों को रोका जाए।स्वास्थ्य से जुडी चीजों पर पर जीएसटी बीमारी पर कराधान है। बीमार पड़ने पर कर लगाना नाजायज है। जीएसटी के तहत मरीज के बेड, जीवन रक्षक उपकरण, दवाइयां आॅक्सीजन पर टैक्स लगाना दुख के शोषण के अलावा कुछ नहीं है यह कष्टकर टैक्स तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
जनता का स्वास्थ्य सरकार की जिम्मेदारी है परंतु स्वास्थ्य बीमा पर भी 18 फीसदी जीएसटी है। सरकार से अनुरोध है की स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा पर उच्च जीएसटी कर का बोझ कम करें।
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डॉक्टरों का पीसी-पीएनडीटी एक्ट के नाम पर हो रहा उत्पीड़न बंद हो
गर्भ में बेटी की सुरक्षा का दायित्व सरकारों पर है। डॉक्टरों का पीसी-पीएनडीटी एक्ट के नाम पर हो रहा उत्पीड़न बंद हो। डॉक्टरों के उत्पीड़न से बचाने के लिए पीसीपीएनडीटी और पोक्सो एक्ट को संशोधित कर फिर से लागू करें।
सरकार को हेल्थ पर जीडीपी का कम से कम 5फीसदी खर्च करना चाहिए। आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई को केवल निजी क्षेत्र से रणनीतिक खरीद तक सीमित रखें। सरकार भौगोलिक ढांचागत और संवेदनशील वैज्ञानिक लागत पर आधारित मूल्य प्रदान करें।
चिकित्सा अधिकारियों के पदों की संख्या जनसंख्या के अनुरूप बढ़ाए
देश भर में चिकित्सा अधिकारियों के पदों की संख्या जनसंख्या के अनुरूप रूप से बढ़ाएँ। उपकेंद्रों और कल्याण केंद्रों में एमबीबीएस स्रातकों को रोजगार दें। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और केंद्रीय मंत्रालयों में डॉक्टरों की तदर्थ और अनुबंध भर्ती की प्रथा को बंद करें।
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