Ghaziabad: जिले में निजी स्कूलों की तरफ से कोरोना काल की फीस वापस नहीं करने को लेकर अभिभावकों में खासा रोष व्याप्त है। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा विभाग की तरफ से फीस वापस करने को लेकर डेड लाइन तो तय की गई, लेकिन फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। दूसरी तरफ जीपीए ने फीस वापस नहीं करने पर फिर से आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार श्रीवास ने सभी स्कूलों के साथ मीटिंग कर फीस वापस करने और उससे संबंधित डाटा देने के लिए 28 अप्रैल तक का समय दिया था, जिसमें केवल 82 स्कूलों ही शामिल हुए। मगर 28 अप्रैल तक सिर्फ 95 स्कूलों ने ही शिक्षा विभाग को डाटा उपलब्ध कराया। इसके बाद जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक होनी थी जो चुनावों में व्यस्तता के चलते अभी तक नहीं हो पाई है।
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अब गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी ने फीस मुद्दे को लेकर डीआईओएस और जिला प्रशासन की उदासीनता पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि जब चुनाव से पहले नोएडा में फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों पर जुर्माना और बुलंदशहर में स्कूलों को नोटिस भेजा जा सकता है तो गाजियाबाद में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि न तो मीटिंग में अनुपस्थित रहने वाले स्कूलों को नोटिस दिया गया है और ना ही फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों पर कोई कार्रवाई हुई है। जीपीए का कहना है कि अगर जल्द ही फीस वापस नहीं कराई गई तो जीपीए अभिभावकों के साथ सड़क पर उतर कर आंदोलन करेगी।
फीस वापसी में भी स्कूलों पर मनमानी करने का आरोप
जीपीए के मीडिया प्रभारी विवेक त्यागी ने बताया कि जिले में फीस वापसी प्रक्रिया शुरू करने वाले 95 स्कूलों में से कुछ चुनिंदा स्कूलों ने ही अभिभावकों को सूचित किया है। उसमें भी कई स्कूलों ने अपने सर्कुलर में फीस वापस करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही है। वहीं दूसरी तरफ इंदिरापुरम के नामी स्कूल ने फीस लौटाने के लिए 317 रुपये की दो साल की किस्त ही बांध दी है। इससे अभिभावक भड़के हुए हैं।