Georgia News : भारतीय शतरंज की उभरती सितारा दिव्या देशमुख ने इतिहास रचते हुए 2025 फिडे महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया है। जॉर्जिया के बाटुमी में आयोजित इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में 19 वर्षीय दिव्या ने अपनी ही हमवतन और अनुभवी ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी को हराकर यह ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह पहली बार है जब फिडे महिला विश्व कप का खिताब भारत के नाम हुआ है, और इस जीत ने भारतीय शतरंज को वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
फाइनल में रोमांचक मुकाबला
फाइनल मुकाबला दो भारतीय शतरंज दिग्गजों, कोनेरू हम्पी और दिव्या देशमुख, के बीच खेला गया, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण था। पहला गेम ड्रॉ रहा, जिसमें दिव्या ने दसवीं चाल में बढ़त हासिल की थी, लेकिन हम्पी ने शानदार बचाव कर खेल को बराबरी पर ला दिया। हालांकि, दूसरे गेम में दिव्या ने अपनी आक्रामक रणनीति और तेज सामरिक दृष्टि का प्रदर्शन करते हुए कोनेरू हम्पी को निर्णायक मुकाबले में मात दी। इस जीत के साथ ही दिव्या ने न केवल खिताब अपने नाम किया, बल्कि 2026 फिडे महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी अपनी जगह पक्की कर ली।
दिव्या का शानदार सफर
नागपुर में 9 दिसंबर 2005 को जन्मीं दिव्या देशमुख ने महज पांच साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। उनके माता-पिता, डॉ. जितेंद्र और नम्रता, दोनों डॉक्टर हैं, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें नागपुर की एक शतरंज अकादमी में प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित किया। दिव्या ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें 2014 में अंडर-10 विश्व चैंपियनशिप, 2023 में एशियन महिला शतरंज चैंपियनशिप, और 2024 में विश्व जूनियर अंडर-20 चैंपियनशिप में कांस्य पदक शामिल हैं। इसके अलावा, 2024 में बुडापेस्ट में आयोजित 45वें शतरंज ओलंपियाड में उन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उलटफेरों की मल्लिका
इस टूर्नामेंट में दिव्या ने कई बड़े उलटफेर किए। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में चीन की दूसरी वरीयता प्राप्त जोनर झू, फिर अपनी हमवतन ग्रैंडमास्टर डी. हरिका, और सेमीफाइनल में पूर्व विश्व चैंपियन तान झोंगयी को हराकर अपने दमखम का प्रदर्शन किया। सेमीफाइनल में तान झोंगयी के खिलाफ 101 चालों के कड़े मुकाबले में जीत ने उन्हें फाइनल में पहुंचाया, जहां उन्होंने कोनेरू हम्पी को हराकर खिताब अपने नाम किया।
कोनेरू हम्पी की सराहना
फाइनल में पहुंचने वाली कोनेरू हम्पी ने भी इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। सेमीफाइनल में उन्होंने चीन की शीर्ष वरीयता प्राप्त लेई टिंगजी को टाईब्रेकर में हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। हार के बावजूद, हम्पी ने दिव्या की तारीफ करते हुए कहा, “यह शतरंज प्रेमियों के लिए खुशी का पल है। दिव्या ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है, और यह जीत भारतीय शतरंज के उज्ज्वल भविष्य के तरफ़ संकेत दिया है।”
भारतीय शतरंज के लिए गौरव का क्षण
यह जीत भारतीय महिला शतरंज के लिए एक मील का पत्थर है। पहली बार दो भारतीय खिलाड़ी फाइनल में आमने-सामने थीं, और यह खिताब भारत के नाम होना तय था। दिव्या की इस उपलब्धि ने न केवल उनके व्यक्तिगत करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारतीय महिला शतरंज अब विश्व मंच पर एक ताकत बन चुकी है।
आगे की राह
दिव्या की इस जीत ने उन्हें 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह दिलाई है, जहां वह मौजूदा विश्व चैंपियन जू वेनजुन को चुनौती देने का मौका पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी। उनकी तेज सामरिक दृष्टि, आत्मविश्वास, और निडर रवैये ने उन्हें शतरंज की दुनिया में एक नया सितारा बना दिया है।
भारत में शतरंज प्रेमी इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मना रहे हैं, और दिव्या देशमुख का नाम अब हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है।
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