Kathmandu/Gen-Z Protest News: नेपाल की राजधानी काठमांडू में आज हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह आंदोलन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप, और X पर लगाए गए बैन के विरोध में शुरू हुआ। स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारी संसद भवन तक पहुंच गए और कुछ ने भवन के अंदर घुसकर तोड़फोड़ की।
क्या है मामला?
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को उन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिन्होंने सात दिन की समयसीमा में रजिस्ट्रेशन नहीं किया। सरकार ने नेपाल टेलीकॉम को इन प्लेटफॉर्म्स को डी-एक्टिवेट करने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ खासकर Gen-Z (18-30 वर्ष के युवा) ने भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश के मुद्दे को जोड़ते हुए सड़कों पर उतरने का फैसला किया।
प्रदर्शन ने लिया उग्र रूप
सुबह से ही काठमांडू के न्यू बानेश्वर, टिंकुने, और अन्य इलाकों में हजारों युवा सरकार विरोधी नारे लगाते हुए सड़कों पर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ दिए और कुछ ने संसद भवन की छत तक पहुंच गए। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस, वॉटर कैनन, और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। कुछ खबरों के अनुसार, पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे और पेड़ की टहनियों व पानी की बोतलों से जवाबी हमला किया।
कर्फ्यू लागू, हालात तनावपूर्ण
हालात बेकाबू होने के बाद काठमांडू के मुख्य जिला अधिकारी छबिलाल रिजाल ने न्यू बानेश्वर चौक, मिन भवन, शांतिनगर, और शंखमूल जैसे इलाकों में धारा 144 के तहत कर्फ्यू लागू कर दिया। यह कर्फ्यू दोपहर 12:30 बजे से रात 10 बजे तक प्रभावी रहा। कर्फ्यू के दौरान आवागमन, सभा, और प्रदर्शन पर पूरी तरह रोक रही। हालांकि, वैध टिकट वाले यात्रियों को हवाई अड्डे जाने की अनुमति दी गई।
प्रदर्शनकारियों की मांग
प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया बैन को तत्काल हटाने, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने, और युवाओं की आवाज को सुनने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। प्रदर्शन में शामिल एक युवा ने कहा, “हमारी आवाज दबाई जा रही है। सोशल मीडिया हमारा हथियार है, और इसे बंद करके सरकार हमें चुप कराना चाहती है।”
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने शांति बनाए रखने की अपील की है, लेकिन प्रदर्शनकारियों के गुस्से को देखते हुए स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। कुछ इलाकों में फोन और इंटरनेट सेवाएं भी घंटों तक बाधित रहीं।
क्या है आगे की स्थिति?
काठमांडू में तनाव के बीच यह आंदोलन अब एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने जल्द ही प्रदर्शनकारियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

