G-20 Summit Updates:राजघाट पर पीएम मोदी ने विदेशी मेहमानों का खादी के शाॅल से किया स्वागत

G-20 Summit Updates: G-20 समिट के आज यानी दूसरे दिन की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi) को श्रद्धासुमन अर्पित करने से हुई। ळ20 नेताओं और मेहमानों ने राजघाट पर पहुंचकर राष्ट्रपिता को नमन किया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सभी नेताओं का खादी के शॉल के साथ स्वागत किया। सभी नेताओं को राजघाट के बारे में जानकारी भी दी। इसके बाद सभी ने नेता भारत मंडपम लौट गए। फिर वन फ्यूचर पर आखिरी सेशन होगा। सबसे आखिर में नई दिल्ली डिक्लेरेशन मतलब दिल्ली घोषणापत्र जारी होगा।

समिट के पहले दिन कई मुद्दों पर चर्चा की। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद G-20 का पहला साझा घोषणा पत्र सामने आया। इसके अलावा भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच बेहद महत्वपूर्ण इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर डील हुई। इसके बाद सभी मेहमान प्रेसिडेंट डिनर में शामिल हुए। कई मेहमानों को भारत के पारंपरिक लिबास में देखा गया।

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साझा घोषणा पत्र पर सहमति

शनिवार को दूसरे सेशन की शुरुआत में पीएम मोदी ने बतौर अध्यक्ष सभी सदस्य देशों की सहमति से नई दिल्ली डिक्लेरेशन (New Delhi Declaration) पारित किया। डिक्लेरेशन पास होने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सभी देशों ने नई दिल्ली डिक्लेरेशन मंजूर किया है। सभी लीडर्स ने माना है कि G-20 राजनीतिक मुद्दों को डिस्कस करने का प्लेटफॉर्म नहीं है। घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है।

जयशंकर से टेररिज्म और अफ्रीकी यूनियन को ळ20 में शामिल किए जाने पर भी सवाल हुए। इस पर विदेश मंत्री ने कहा- आप इस समिट का बाली समिट से कंपैरिजन न करें। बाली एक साल पहले था, अब नई दिल्ली है। यूक्रेन मुद्दे और फूड सिक्योरिटी जैसे मसलों का 7 पैराग्राफ में जिक्र किया गया है। मोदी ने जकार्ता और इसके पहले भी अपने सहयोगी नेताओं से बातचीत (यूक्रेन का नाम नहीं लिया) की थी। अफ्रीकी यूनियन के प्रेसिडेंट (सेनेगल के राष्ट्रपति) पिछले साल बाली में मोदी के पास आए थे। तब उन्होंने मोदी से कहा था कि हमें ळ20 में जगह क्यों नहीं मिलती? मुझे याद है तब प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था- मैं आपको नई दिल्ली में G-20 की सदस्यता दिलाने की गारंटी देता हूं।
जयशंकर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के न आने पर भी सवाल किया गया। इस पर जयशंकर ने कहा कि हमें लगता है कि हर देश को ये हक है कि वो किस स्तर पर शिरकत करना चाहता है। इसके मायने इससे ज्यादा नहीं होने चाहिए। चीन ने काफी सपोर्ट किया है।

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