उस्ताद से जेन Z का ‘NFAK’

Ustad Nusrat Fateh Ali Khan News: पाकिस्तानी क़व्वाली के शहंशाह उस्ताद नुसरत फतेह अली खान (NFAK) आज भी दुनिया भर में संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे हैं। 1997 में मात्र 48 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी आवाज़ और क़व्वालियां आज जेन Z (1997-2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) के बीच सबसे लोकप्रिय हैं।

स्पॉटिफ़ाई के अनुसार, 2024 में NFAK के श्रोताओं में से लगभग 60% जेन Z के युवा हैं, जिन्होंने विश्व स्तर पर उनके 800 मिलियन से अधिक स्ट्रीम्स किए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि कैसे एक पारंपरिक सूफ़ी संगीतकार आधुनिक डिजिटल युग का पॉप स्टार बन गया।

डिजिटल युग में NFAK की लोकप्रियता
इंटरनेट के शुरुआती दिनों से ही प्रशंसकों ने उनके नाम को छोटा करके ‘NFAK’ बना लिया था। 1995 के ऑनलाइन फोरम्स से लेकर आज के सबरेडिट्स, इंस्टाग्राम और ट्विटर तक, NFAK एक ब्रांड बन चुका है। युवा उनके गानों जैसे ‘मेरे रश्क-ए-क़मर’, ‘तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी’ के क्लिप्स रात भर स्क्रॉल करते हैं। यूट्यूब पर पुर्तगाली संगीतकार आंद्रे एंट्यून्स ने NFAK की ‘सांसों की माला पे’ को मेटल स्टाइल में रीमिक्स किया, जो 20 मिलियन से अधिक व्यूज बटोर चुका है।

उनके भतीजे राहत फतेह अली खान NFAK की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। कोक स्टूडियो सीजन 9 में राहत की ‘अफ़रीन अफ़रीन’ (मोमिना मुस्तेहसान के साथ) ने 600 मिलियन व्यूज पार कर लिए। यह गाना जावेद अख्तर के लिखे नज़्म पर आधारित है, जो शारीरिक सौंदर्य को आध्यात्मिक स्तर तक ले जाता है।

वैश्विक पॉप आइकन के रूप में NFAK
600 साल पुरानी क़व्वाली परंपरा से निकले NFAK ने 1960 में पाकिस्तान में डेब्यू किया, लेकिन 1985 में लंदन के WOMAD फेस्टिवल ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्टार बना दिया। पीटर गेब्रियल के रियल वर्ल्ड लेबल से जुड़कर उन्होंने पारंपरिक एल्बम्स के साथ-साथ प्रयोग किए। 1990 का एल्बम ‘मुस्त मुस्त’ (माइकल ब्रूक के साथ) में सिंथेसाइज़र और इलेक्ट्रिक गिटार का मिश्रण था। मासिव अटैक का रीमिक्स ब्रिटिश क्लब्स में हिट हुआ और कोका-कोला ऐड में भी इस्तेमाल हुआ।

1996 में ‘नाइट सॉन्ग’ बिलबोर्ड वर्ल्ड म्यूजिक चार्ट पर नंबर 4 पर रहा। उन्होंने एडी वेदर (पर्ल जैम) के साथ ‘डेड मैन वॉकिंग’ साउंडट्रैक और ए आर रहमान के साथ ‘वंदे मातरम’ में काम किया। बॉलीवुड में ‘दुल्हे का सेहरा’ (धड़कन), ‘साया भी साथ जब छोड़ जाए’ (दिल्लगी) जैसे गाने आज भी लोकप्रिय हैं।

दुनिया भर में मिले उपनाम
• अमेरिका: जेफ़ बकली ने उन्हें अपना ‘एल्विस’ कहा।
• जापान: ‘सिंगिंग बुद्धा’।
• लंदन: ‘स्पिरिट ऑफ़ इस्लाम’।
• लॉस एंजिल्स: ‘वॉइस ऑफ़ पैराडाइज़’।

आज की अस्थिर दुनिया में NFAK का संदेश प्रासंगिक है: “इश्क़ है जो सारे जहां को अमन भी दे। रौनक़ इश्क़ से है सारे आलम की।” उनकी क़व्वालियां न केवल धार्मिक अनुभव हैं, बल्कि प्रेम, शांति और आध्यात्मिकता का माध्यम बनकर नई पीढ़ी को जोड़ रही हैं।

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