Health Insurance/Loot News: भारत में स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) आज के समय में एक आवश्यक वित्तीय सुरक्षा कवच बन चुका है, जो लोगों को अप्रत्याशित चिकित्सा खर्चों से बचाता है। हालांकि, बीमा कंपनियों की ओर से क्लेम रिजेक्शन और खराब सेवा के कारण कई बार पॉलिसीधारकों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। बीमा लोकपाल परिषद (Council for Insurance Ombudsmen – CIO) की हालिया वार्षिक रिपोर्ट (2023-24) ने कुछ स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के खिलाफ मिली शिकायतों को उजागर किया है, जो उनके खराब प्रदर्शन और पॉलिसीधारकों के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैये को बढ़ावा दे रही है। इस रिपोर्ट के आधार पर कुछ कंपनियों को “नाम और शर्म” (Named & Shamed) की सूची में शामिल किया गया है।
बीमा लोकपाल परिषद (CIO) क्या है?
बीमा लोकपाल परिषद भारत में बीमा क्षेत्र में शिकायतों के निवारण के लिए एक वैकल्पिक मंच है, जिसका गठन बीमा लोकपाल नियम, 2017 के तहत किया गया है। यह पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियों और उनके मध्यस्थों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का एक तेज और लागत-प्रभावी तरीका प्रदान करता है। CIO का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बीमा कंपनियों द्वारा पॉलिसीधारकों के साथ कोई अन्याय न हो और उनकी शिकायतों का उचित समाधान हो।
2023-24 में सबसे ज्यादा शिकायतें
CIO की वार्षिक रिपोर्ट (2023-24) के अनुसार, कुछ स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इन शिकायतों में मुख्य रूप से क्लेम रिजेक्शन, देरी से क्लेम सेटलमेंट, अपारदर्शी पॉलिसी शर्तें, और खराब ग्राहक सेवा जैसे मुद्दे शामिल हैं। रिपोर्ट में विशेष रूप से कुछ कंपनियों को उनके खराब प्रदर्शन के लिए चिह्नित किया गया है। इनमें शामिल हैं:
1. स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (Star Health and Allied Insurance Co. Ltd.)
• यह कंपनी सबसे ज्यादा शिकायतों के मामले में शीर्ष पर रही। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में स्टार हेल्थ के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की गईं।
• मुख्य शिकायतें: क्लेम रिजेक्शन, खासकर छोटे क्लेम (₹50,000 से कम) के लिए, और यह दावा करना कि मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं थी। उदाहरण के लिए, डेंगू जैसे मामलों में कंपनी ने यह कहकर क्लेम रिजेक्ट किए कि यह “सीमा रेखा” (borderline) मामला था और भर्ती अनावश्यक थी।
• IRDAI के आंकड़ों के अनुसार, स्टार हेल्थ का क्लेम सेटलमेंट रेशियो (CSR) 2023-24 में केवल 82.31% था, जो सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों में सबसे कम था।
• सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों पर भी स्टार हेल्थ की आलोचना की गई है। उदाहरण के लिए, रेडिट पर एक यूजर ने बताया कि स्टार हेल्थ ने उनके पिता के डेंगू उपचार के क्लेम को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि भर्ती अनावश्यक थी, जिसके कारण उन्हें अपनी जेब से भुगतान करना पड़ा।
2. केयर हेल्थ इंश्योरेंस (Care Health Insurance)
• यह कंपनी भी शिकायतों की सूची में प्रमुख रही। 2022-23 में केयर हेल्थ ने 5.92 लाख क्लेम में से 72,903 (लगभग 13%) क्लेम रिजेक्ट किए।
• शिकायतों में क्लेम रिजेक्शन के लिए अस्पष्ट कारण देना, जैसे कि पहले से मौजूद बीमारी (pre-existing disease) का हवाला देना, भले ही अस्पतालों ने ऐसी कोई स्थिति न बताई हो, शामिल है।
• रेडिट पर एक यूजर ने केयर हेल्थ की ट्रैवल इंश्योरेंस सेवा को “गैर-मौजूद ग्राहक सेवा” के लिए आलोचना की, जिसके कारण उन्होंने स्वास्थ्य बीमा के लिए इस कंपनी को नहीं चुना।
अन्य उल्लेखनीय कंपनियां
रिपोर्ट में कुछ अन्य कंपनियों के खिलाफ भी शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं। इसके विपरीत, कुछ कंपनियां जैसे एको जनरल इंश्योरेंस (Acko General Insurance) और एचडीएफसी एर्गो (HDFC ERGO) ने बेहतर प्रदर्शन दिखाया। उदाहरण के लिए:
• एको जनरल इंश्योरेंस का क्लेम सेटलमेंट रेशियो 99.91% रहा, जो सभी स्वास्थ्य और सामान्य बीमा कंपनियों में सबसे अधिक था।
• एचडीएफसी एर्गो और आदित्य बिड़ला हेल्थ को भी कम क्लेम रिजेक्शन दर (95% CSR) के लिए सराहा गया।
शिकायतों के कारण
CIO की रिपोर्ट और अन्य स्रोतों के अनुसार, शिकायतों के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. क्लेम रिजेक्शन: बीमा कंपनियां अक्सर तकनीकी आधार पर क्लेम रिजेक्ट करती हैं, जैसे कि पहले से मौजूद बीमारी का दावा करना या यह कहना कि उपचार OPD (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) में हो सकता था।
2. अस्पष्ट पॉलिसी शर्तें: कई पॉलिसीधारकों को पॉलिसी की शर्तों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी जाती, जिसके कारण क्लेम रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है।
3. देरी से क्लेम सेटलमेंट: IRDAI के निर्देशों के अनुसार, बीमा कंपनियों को 30 दिनों के भीतर क्लेम सेटल करना चाहिए, लेकिन कई मामलों में यह समयसीमा पार हो जाती है।
4. खराब ग्राहक सेवा: ग्राहकों को बार-बार दस्तावेज जमा करने के लिए कहा जाता है, और कई बार उनकी शिकायतों का जवाब ही नहीं दिया जाता।
बीमा लोकपाल में शिकायत कैसे दर्ज करें?
CIO की वेबसाइट (https://www.cioins.co.in) के अनुसार, पॉलिसीधारक निम्नलिखित शर्तों के तहत बीमा लोकपाल में शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
• बीमा कंपनी या ब्रोकर को पहले शिकायत दर्ज की गई हो।
• कंपनी ने एक महीने के भीतर जवाब नहीं दिया हो, या जवाब संतोषजनक न हो।
• शिकायत कंपनी द्वारा रिजेक्शन की तारीख से एक साल के भीतर दर्ज की जाए।
• मुआवजे की राशि 50 लाख रुपये से अधिक न हो।
शिकायत ऑनलाइन या ऑफलाइन दर्ज की जा सकती है। पॉलिसीधारकों को सलाह दी जाती है कि वे सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे पॉलिसी दस्तावेज, क्लेम रिजेक्शन पत्र, और अन्य प्रासंगिक पत्राचार, तैयार रखें।
उपभोक्ताओं के लिए सलाह
1. क्लेम सेटलमेंट रेशियो (CSR) जांचें: बीमा कंपनी चुनने से पहले उसका CSR जांचें। 85% से अधिक CSR वाली कंपनियां आमतौर पर विश्वसनीय मानी जाती हैं।
2. पॉलिसी की शर्तें समझें: पॉलिसी खरीदने से पहले सभी नियम और शर्तें, खासकर बहिष्करण (exclusions) और प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज कवरेज, को ध्यान से पढ़ें।
3. नेटवर्क अस्पतालों की सूची: ऐसी कंपनी चुनें जिसके पास आपके क्षेत्र में अधिक नेटवर्क अस्पताल हों, ताकि कैशलेस उपचार आसानी से मिल सके।
4. IRDAI की वेबसाइट देखें: IRDAI (www.irdai.gov.in) पर उपलब्ध आंकड़ों और वार्षिक रिपोर्ट्स की मदद से बीमा कंपनियों का प्रदर्शन जांचें।
निष्कर्ष
बीमा लोकपाल परिषद की 2023-24 की रिपोर्ट ने स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में कुछ कंपनियों की खामियों को उजागर किया है, खासकर स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ जैसी कंपनियों के खिलाफ। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे बीमा पॉलिसी खरीदने से पहले कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड, क्लेम सेटलमेंट रेशियो, और ग्राहक समीक्षाएं अच्छी तरह जांच लें। साथ ही, यदि कोई कंपनी क्लेम सेटलमेंट में आनाकानी करती है, तो बीमा लोकपाल में शिकायत दर्ज करने में संकोच न करें। यह मंच पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है, और इसका उपयोग करके आप अपने हक की लड़ाई लड़ सकते हैं।

