पूर्व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को एंटी-पार्टी गतिविधियों का आरोप लिए, निलंबित

Expelled from BJP party: बिहार विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल करने के एक दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को पार्टी से छह वर्ष के लिए निलंबित कर दिया है। पार्टी ने सिंह पर एंटी-पार्टी गतिविधियों में लिप्त होने का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें शो-कॉज नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि वे पार्टी से निष्कासित क्यों न हों। सिंह को एक सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।

भाजपा के बिहार इकाई ने एक आधिकारिक पत्र में कहा, “आपकी गतिविधियां पार्टी के खिलाफ हैं और यह अनुशासनहीनता के दायरे में आती हैं। इससे संगठन को नुकसान पहुंचा है। इसलिए, निर्देशानुसार आपको पार्टी से निलंबित किया जा रहा है।” यह कार्रवाई बिहार चुनाव परिणामों के ठीक बाद की गई है, जब एनडीए ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस गठबंधन को करारी शिकस्त दी।

आर के सिंह, जो बिहार के आरा से दो बार सांसद रह चुके हैं और 2017 से 2021 तक केंद्रीय ऊर्जा एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद पर रहे, ने हाल ही में पार्टी और बिहार सरकार के खिलाफ कई विवादास्पद बयान दिए थे।

चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बिहार सरकार पर 62,000 करोड़ रुपये के सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिसमें अदानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने का दावा किया। सिंह ने कहा था कि यह प्रोजेक्ट बिहार के खजाने को लूटने का माध्यम बना है।

इसके अलावा, सिंह ने एनडीए के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार, गुटबाजी और अपराधिक पृष्ठभूमि के आरोप लगाए। उन्होंने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह और आरजेडी के सूरजभान सिंह जैसे प्रमुख नेताओं पर निशाना साधा। मोकामा में चुनावी हिंसा को लेकर उन्होंने प्रशासन और चुनाव आयोग की विफलता पर सवाल उठाए तथा बिहार के मतदाताओं से अपील की कि वे अपराधी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को वोट न दें, भले ही वे एनडीए के हों। इन बयानों ने पार्टी के अंदर असंतोष पैदा कर दिया था, लेकिन चुनाव के दौरान कार्रवाई टाली गई थी।

सिंह के साथ ही भाजपा ने विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अशोक कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी, कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल को भी एंटी-पार्टी गतिविधियों के लिए निलंबित किया है। अग्रवाल के बेटे सौरभ अग्रवाल ने कटिहार सीट से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के टिकट पर चुनाव लड़ा, जो पार्टी लाइन के खिलाफ माना गया। यह कदम भाजपा की आंतरिक अनुशासन मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा लगता है, खासकर जब पार्टी बिहार में सत्ता मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

पूर्व राजनयिक और आईएएस अधिकारी रह चुके सिंह (72 वर्ष) ने 2024 के लोकसभा चुनाव में आरा से भाजपा टिकट पर हार का सामना किया था। पार्टी नेतृत्व के साथ उनके संबंध पहले से ही तनावपूर्ण थे, और उन्होंने हाल ही में कहा था कि भाजपा उन्हें 2024 में हारने के लिए मजबूर करना चाहती थी। निलंबन के बाद सिंह की प्रतिक्रिया का इंतजार है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बिहार भाजपा में साफ-सफाई अभियान का संकेत दे रही है।

यह मामला बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है, जहां एनडीए की जीत के बाद भी आंतरिक कलह की आशंका बनी हुई है। अधिक अपडेट के लिए बने रहें।

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