यूएनएससी में भारत की ओर से बोलते हुए विदेश मंत्री जय शंकर ने अंातकवाद के खातमे पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंतकवाद से किसी भी देश की तरक्की नही हो सकती बल्कि अशांति रहती है। जिसका असर उसकी विकास की रफतार पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस दौरान 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में सर्वाइवर और कामा एंड एल्बलेस अस्पताल में नर्सिंग अधिकारी अंजलि वी. कुलथे ने बताया कि मैं भाग्यशाली हूं कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में बच गई। मैं आतंकी हमलों के पीड़ितों के परिवारों द्वारा सहे गए आघात और दुख की आवाज न्छैब् के संज्ञान में लाना चाहती हूं। इस पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि मैं मुंबई 26/11 आतंकी हमले की बहादुर सर्वाइवर नर्स अंजलि कुलथे को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हमारे साथ अपनी यादें साझा की हैं।
उन्होंने कहा कि आज की ब्रीफिंग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने आतंकवाद विरोधी एजेंडे को फिर से जीवंत करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का एक हिस्सा है। आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है। हमने अल-कायदा, बोको हराम और अल-शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार होते देखा है। आतंकवाद शांति और सुरक्षा के लिए बहुत खतरा है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद-रोधी संरचना चार बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है, जिसमें आतंकवाद का वित्तपोषण, आतंकवाद-रोधी बहुपक्षीय तंत्रों की अखंडता, जवाबदेही और उनके कार्य करने के तरीके सुनिश्चित करना, आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को संबोधित करना और आतंकवादियों द्वारा नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग शामिल है। यूएनएससी में डा. एस. जशंकर ने कहा कि किसी भी देश को आतंकवाद से राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जब आतंकवाद से निपटने की बात आती है, तो हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करना चाहिए और शून्य-सहिष्णुता के दृष्टिकोण को प्रकट करना चाहिए।