Floods wreak havoc in Maharashtra: महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र और उत्तरी जिले जळगांव में भारी बारिश ने भयानक बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा से नदियां उफान पर हैं, गावों में जलमग्न हो गए हैं, फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और पशुधन को भारी नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार ने तत्काल राहत कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। जल संसाधन एवं आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने जळगांव में नुकसान का जायजा लिया, जबकि संरक्षक मंत्री गुलाबराव पाटिल ने प्रभावित किसानों से मुलाकात कर आश्वासन दिया।
मंत्री गुलाबराव पाटिल ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करते हुए कहा, “तत्काल राहत प्रदान की जा रही है, लेकिन लोगों को स्थायी राहत देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि जळगांव में एक व्यक्ति की जान चली गई। किसानों की जमीनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और उन्हें पशुधन के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।” पाटिल ने जामनेर, पचोरा और मुक्तैनगर तहसीलों में पहुंचकर प्रभावित परिवारों से बातचीत की और सरकारी सहायता का भरोसा दिलाया। उन्होंने अधिकारियों को नुकसान का तुरंत आकलन कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
जळगांव जिले में स्थिति सबसे विकराल है। जिला कलेक्टर आयुष प्रसाद के अनुसार, 16 सितंबर को क्लाउडबर्स्ट जैसी स्थिति बनी, जिससे नदियों और नालों का जलस्तर अचानक बढ़ गया। 10 गांवों में पानी घुस गया, 452 घर जलमग्न हो गए और 2,500 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर कीचड़ जमा हो गया। एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि लगभग 250 मवेशी मर गए और कुल 1,800 पशु प्रभावित हुए। पचोरा तहसील के चार गांव पूरी तरह डूब गए, जहां हिवरा नदी के उफान ने तबाही मचा दी। जामनेर में 4,393 और पचोरा में 1,092 किसान प्रभावित हुए हैं, जबकि कुल 44 गांवों में 4,327 हेक्टेयर फसल नष्ट हो गई। एसडीआरएफ टीमें राहत सामग्री वितरित कर रही हैं और बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है।
मराठवाड़ा क्षेत्र में भी बारिश का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। 17 सितंबर को 19 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया था, जिसमें मराठवाड़ा के आठों जिले शामिल थे। धाराशिव (पूर्व ओस्मानाबाद) में सबसे अधिक 64 मिमी बारिश दर्ज की गई, उसके बाद बीड (48 मिमी), जालना (30 मिमी) और छत्रपति संभाजीनगर (26 मिमी)। जयकवाड़ी बांध से पानी छोड़े जाने से नदियों का जलस्तर बढ़ गया, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया। 12 लोग फंस गए, जिन्हें एनडीआरएफ और हेलीकॉप्टर से बचाया गया। लातूर, बीड, धाराशिव और जालना में लगातार भारी वर्षा से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठवाड़ा के जिला कलेक्टरों से फोन पर बात की और फंसे लोगों को तुरंत बचाने तथा राहत पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “मैंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। एनडीआरएफ टीमें मौके पर हैं और भारतीय वायुसेना की मदद से लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रभावित लोग पूरी तरह परेशान हैं, लेकिन हम हर संभव सहायता कर रहे हैं।” सोलापुर के बरसी तालुका में सिना और भोगावती नदियों के उफान से फंसे लोगों को फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ ने नावों से बचाया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जल संसाधन विभाग को बांधों से पानी छोड़ने पर सख्त निगरानी रखने और जिला कलेक्टरों से समन्वय बनाए रखने का आदेश दिया। महाराष्ट्र कृष्णा घाटी विकास निगम और गोदावरी मराठवाड़ा सिंचाई विकास निगम को सतर्क रहने को कहा गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव क्षेत्र और मजबूत मानसून हवाओं के कारण यह भारी वर्षा हो रही है। अगले कुछ दिनों तक मराठवाड़ा, विदर्भ और कोकण में भारी बारिश की चेतावनी बनी हुई है।
किसान संगठनों ने मांग की है कि फसल नुकसान का तत्काल मुआवजा दिया जाए और पशुधन के लिए विशेष सहायता पैकेज घोषित हो। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि अब तक 12 एनडीआरएफ टीमें तैनात हैं और बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत शिविर खोले गए हैं। नवरात्रि के मौसम में यह बाढ़ लोगों के उत्साह पर भी पानी फेर रही है।
सरकार ने लोगों से अपील की है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा न करें और ऊंचे स्थानों पर रहें। यह महाराष्ट्र में मानसून की तीसरी लहर है, जो पहले ही आठ मौतें और हजारों विस्थापनों का कारण बनी है। राहत कार्यों में तेजी लाई जा रही है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के इस दौर में स्थायी उपायों की आवश्यकता है।

